Bhagat Singh Quotes: भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे प्रभावशाली क्रांतिकारियों में से एक, भगत सिंह। उनका जन्म 28 सितंबर, 1907 को हुआ था और महज 23 वर्ष की आयु में देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिये थे। आपको बता दें भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन पी सॉन्डर्स को मारने की साजिश के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। इसी पुलिस अधिकारी ने स्वतंत्रता आंदोलन के नेता लाला लाजपत राय पर क्रूर पुलिस कार्रवाई का आदेश दिया था।
भगत सिंह हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर चढ़ गए थे। वह अपने आखिरी वक्त में भी बेहद इत्मिनान थे। जेल में रहते हुए भी भगत सिंह लगातार पढ़ते-लिखते रहते थे। उनकी जेल डायरी बेहद चर्चित है, जिसमें उन्होंने तमाम क्रांतिकारी विचार साझा किये हैं। भगत सिंह को जब फांसी होनी थी उस वक्त वो लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे।
भगत सिंह चाहते थे कि उनके जेल में रहते हुए भी आजादी की लड़ाई तनिक भी कुंद नहीं होनी चाहिए। वे अपने दोस्तों को ख़त लिखा करते थे। दोस्तों से अक्सर जेल में किताबें मंगवाते थे। जेल में रहने के दौरान भगत सिंह किताबों को पढ़कर नोट्स बनाते थे जिन्हें ऐतिहासिक दस्तावेजों में शामिल किया गया।
भगत सिंह के ये कोट्स आज भी जोश भर देते हैं।
1. राख का हर एक कण,
मेरी गर्मी से गतिमान है।
मैं एक ऐसा पागल हूं,
जो जेल में भी आजाद है।।
– भगत सिंह
2. जो भी व्यक्ति विकास के लिए खड़ा है,
उसे हर एक रुढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी,
उसमें अविश्वास करना होगा, तथा उसे चुनौती देनी होगी।।
– भगत सिंह
3. “बम और पिस्तौल क्रांति नहीं करते। क्रांति की तलवार विचारों के पत्थर पर तेज होती है।” – भगत सिंह
4. “वे मुझे मार सकते हैं, लेकिन वे मेरे विचारों को नहीं मार सकते। वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं, लेकिन वे मेरी आत्मा को कुचलने में सक्षम नहीं होंगे।”
– भगत सिंह
दिल से निकलेगी
न मरकर भी वतन की उल्फत,
मेरी मिट्टी से भी
खुश्बू-ए-वतन आएगी।
भगत सिंह ने नौजवानों को सलाह देते हुए कहा था- हम नौजवानों को बम और पिस्तौल उठाने की सलाह नहीं दे सकते। विद्यार्थियों के लिए और भी महत्त्वपूर्ण काम हैं। राष्ट्रीय इतिहास के नाजुक समय में नौजवानों पर बहुत बड़े दायित्व का भार है और सबसे ज्यादा विद्यार्थी ही तो आजादी की लड़ाई में अगली पांतों में लड़ते हुए शहीद हुए है। क्या भारतीय नौजवान इस परीक्षा के समय में वही संजीदा इरादा दिखाने में झिझक दिखाएंगे।
इस कदर वाकिफ है मेरी कलम
मेरे जज्बातों से,
अगर मैं इश्क लिखना भी चाहूं
तो इंकलाब लिख जाता हूं।
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है ज़ोर कितना बाजु-ए-कातिल में है।।
- भगत सिंह
राख का हर एक कण,
मेरी गर्मी से गतिमान है।
मैं एक ऐसा पागल हूं,
जो जेल में भी आजाद है।।
- भगत सिंह
जो भी व्यक्ति विकास के लिए खड़ा है,
उसे हर एक रुढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी,
उसमें अविश्वास करना होगा, और उसे चुनौती देनी होगी।।
- भगत सिंह
क्रांति मानव जाति का एक अपरिहार्य अधिकार है।
स्वतंत्रता सभी का एक कभी न खत्म होने वाला जन्म-सिद्ध अधिकार है।।
- भगत सिंह
वे मुझे मार सकते हैं,
लेकिन वे मेरे विचारों को नहीं मार सकते।।
वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं,
मेरी आत्मा को नहीं।।
-भगत सिंह
मैं एक इंसान हूं और
जो भी चीजें इंसानियत पर प्रभाव डालती हैं,
मुझे उनसे फर्क पड़ता है।।
-भगत सिंह
देशभक्तों को अक्सर लोग पागल कहते हैं,
हमें पागल ही रहने दो हम, पागल ही अच्छे हैं।।
- भगत सिंह
भगत सिंह को 7 अक्टूबर 1930 को मौत की सजा सुनाई गई थी, जिसे उन्होंने साहस के साथ सुना। 7. भगत सिंह को 24 मार्च 1931 को फांसी देना तय किया गया था, लेकिन अंग्रेज इतना डरे हुए थे कि उन्हें 11 घंटे पहले ही 23 मार्च 1931 को उन्हें 7:30 बजे फांसी पर चढ़ा दिया गया।
भगत सिंह ने जेल में 116 दिन का उपवास किया था। आश्चर्य की बात है कि इस दौरान वह अपना सारा काम नियमित रूप से करते थे, जैसे गाना, किताबें पढ़ना, हर दिन कोर्ट जाना, आदि।
भगत सिंह जन्म के समय एक सिख थे, उन्होंने अपनी दाढ़ी मुंडवा ली और हत्या के लिए पहचाने जाने और गिरफ्तार होने से बचने के लिए अपने बाल काट लिए। वह लाहौर से कलकत्ता भागने में सफल रहे।
भगत सिंह ने एक शक्तिशाली नारा ‘इंकलाब जिंदाबाद’ गढ़ा, जो भारत के सशस्त्र संघर्ष का नारा बन गया।
ज़िन्दगी तो अपने दम पर ही जी जाती है,
दूसरों के कंधों पर तो सिर्फ जनाजे उठाये जाते हैं।
— शहीद भगत सिंह
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राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है,
मैं एक ऐसा पागल हूँ जो जेल में भी आज़ाद है।
— क्रांतिकारी भगत सिंह के विचार
राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है,मैं एक ऐसा पागल हूँ जो जेल में भी आज़ाद है।— क्रांतिकारी भगत सिंह के विचार
क्रांति मानव जाती का एक
अपरिहार्य अधिकार है।
स्वतंत्रता सभी का एक कभी
न खत्म होने वाला जन्म-सिद्ध अधिकार है।
श्रम समाज का वास्तविक निर्वाहक है।।
- भगत सिंह
वे मुझे मार सकते हैं,
लेकिन वे मेरे विचारों को नहीं मार सकते।।
वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं,
मेरी आत्मा को नहीं।।
-भगत सिंह
मैं एक इंसान हूं और
जो भी चीजें इंसानियत पर प्रभाव डालती हैं,
मुझे उनसे फर्क पड़ता है।।
-भगत सिंह
देशभक्तों को अक्सर लोग पागल कहते हैं,
हमें पागल ही रहने दो हम,
पागल ही अच्छे हैं।।
- भगत सिंह
मेरे जज्बातों से इस कदर वाकिफ है मेरी कलम,
मैं इश्क भी लिखना चाहूं को इंकलाब लिखा जाता है।।
- भगत सिंह