Sardar Vallabhbhai Patel Jayanti 2019: देश आज (31 अक्टूबर) पहले गृहमंत्री व उप-प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की 144वीं जयंती मना रहा है। इस दौरान देश में जगह-जगह रन फॉर यूनिटी का आयोजन किया गया। साथ ही, पीएम मोदी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के पास आयोजित कार्यक्रम में देश को संबोधित किया। बता दें कि सरदार पटेल देश के महत्वपूर्ण सामाजिक और राजनीतिक नेताओं में से एक थे। उन्होंने देश की आजादी के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था। उनके कार्यों की वजह से लोग उन्हें सरदार के नाम से संबोधित करते थे।
30 महीने में किया था बैरिस्टर का कोर्स: वल्लभ भाई ने 22 वर्ष की उम्र में मैट्रिक पास किया था। अपने आसपास के लोगों के लिए वह काफी साधारण व्यक्ति थे, लेकिन उनकी इच्छाशक्ति काफी मजबूत थी।। वह बैरिस्टर बनना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने 36 वर्ष की उम्र में इंग्लैंड के माध्यमिक धर्मशाला मंदिर में प्रवेश लिया था। बताया जाता है कि उस दौरान बैरिस्टर का कोर्स 36 महीने का था, जिसे उन्होंने महज 30 महीने में ही पूरा कर लिया था। भारत लौटने के बाद वह अहमदाबाद के सबसे सफल बैरिस्टर बने।
जब आजादी की लड़ाई में कूदे वल्लभ भाई: महात्मा गांधी के कार्यों व आदर्शों से प्रेरित होकर पटेल भी देश की आजादी के लिए किए जा रहे संघर्ष में शामिल हो गए। उन्होंने ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए टैक्स के विरोध में खेड़ा, बारडोली व गुजरात के अन्य क्षेत्रों से किसानों को संगठित किया और गुजरात में सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की। वह अपने लक्ष्य में सफल हुए, जिसके बाद ब्रिटिश सरकार को उस वर्ष का राजस्व कर माफ करना पड़ा। इसके साथ वह गुजरात के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक बन गए।
3 बार बने नगर पालिका अध्यक्ष: सरदार वल्लभ भाई पटेल 1920 में गुजरात की प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नियुक्त किए गए और 1945 तक इस पद पर कार्यरत रहे। वह गांधीजी के असहयोग आंदोलन के समर्थक थे। उन्होंने गुजरात में शराब, छुआछूत और जातीय भेदभाव जैसी कुरीतियों का जमकर विरोध किया। 1922, 1924 और 1927 में वह अहमदाबाद की नगर पालिका के अध्यक्ष चुने गए।
भारत छोड़ो आंदोलन के प्रमुख नेता थे पटेल: जब महात्मा गांधी जेल में थे, तब उन्होंने भारतीय झंडा फहराने को प्रतिबंधित करने वाले अंग्रेजों के कानून के खिलाफ 1923 नागपुर में सत्याग्रह आंदोलन का नेतृत्व किया था। 1931 में वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष बने। 1934 और 1937 में कांग्रेस के अखिल भारतीय चुनाव प्रचार में सबसे आगे थे। वहीं, 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के आयोजन में प्रमुख नेता थे। उन्हें भारत छोड़ो आंदोलन में प्रमुख रूप से शामिल होने के कारण पुलिस ने कैद कर लिया था और 1945 में रिहा किया था।
आजादी के बाद बने पहले गृहमंत्री: आजादी के बाद वह देश के पहले गृह मंत्री व उप-प्रधानमंत्री बने। उन्होंने पंजाब और दिल्ली में शरणार्थियों के लिए राहत शिविर लगवाए। 565 अर्द्ध-स्वायत्त रियासतों का एकत्रीकरण करके भारत को एकता सूत्र में बांधने का श्रेय सरदार पटेल को ही जाता है। वल्लभ भाई पूर्णरूप से महात्मा गांधी से जुड़े हुए थे। महात्मा गांधी की मृत्यु के बाद उनकी भी स्थिति बिगड़नी शुरू हो गई। गांधीजी की मृत्यु के महज 2 महीने में 15 दिसंबर 1950 को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। वह एक साहसी और दृढ़ निश्चयी व्यक्ति थे। इस वजह से उन्हें ‘भारत का लौह पुरुष’ भी कहा जाता है।