नई पीढ़ी की जुबान पर तो बाजार का ऐसा स्वाद बस चुका है कि वे पारंपरिक व्यंजनों को देखते ही नाक-भौं सिकोड़ने शुरू कर देते हैं। मगर बाजार के भोजन से जिस तरह पेट की बीमारियां बढ़ रही हैं, उसमें फिर से लोगों को पारंपरिक भोजन की तरफ लौटने पर बल दिया जा रहा है। ऐसे ही कुछ व्यंजन।

दालमा

यह ओड़ीशा का लोकप्रिय व्यंजन है। भगवान जगन्नाथ के प्रसाद में भी इसे शामिल किया जाता है। इस समय रथयात्रा उत्सव चल रहा है। ऐसे में यह व्यंजन अवश्य बनाएं। वैसे भी, जब मौका मिले इसे जरूर घर में बनाएं। बहुत ही पौष्टिक और स्वादिष्ट व्यंजन होता है। यह दाल और सब्जियों से बनाया जाता है। इसमें मसालों की बहुत जरूरत नहीं पड़ती। इस तरह जिन लोगों को कब्ज आदि की शिकायत रहती है, उनके लिए तो दालमा बहुत फायदेमंद व्यंजन है।

इसमें दो प्रकार की दालों का उपयोग होता है- अरहर और चना दाल। दोनों दालों की मात्रा बराबर रखें। करीब आधा कप। धोकर थोड़ी देर भिगो कर रख दें। फिर कड़ाही या भगोने में डालें और इसमें थोड़ा-सा हल्दी पाउडर, थोड़ी लाल मिर्च पाउडर, एक छोटा चम्मच घी और नमक डाल कर मध्यम आंच पर उबलने रख दें। कुकर की अपेक्षा भगोने या ढक्कन वाली कड़ाही का उपयोग करना ही बेहतर रहता है, इससे स्वाद अच्छा आता है।

जब तक दाल पक रही है, तब तक इसमें डालने के लिए सब्जियों और मसालों की तैयारी कर लें। इसमें डालने के लिए एक गोल बैगन, एक कच्चा केला, छोटा कच्चा पपीता, थोड़ा लाल कद्दू, एक आलू, थोड़ी गोभी, एक गाजर की जरूरत पड़ती है। कुछ सब्जियों का चुनाव आप अपनी पसंद से भी कर सकते हैं, जैसे बीन्स आदि। मगर ध्यान रखें कि वही सब्जियां लें जिनका दाल के साथ मेल अच्छा बैठे। सब्जियों को छील और धोकर, बड़े टुकड़ों में काट लें।

इसमें डालने के लिए मसाले के रूप में लाल मिर्च और भुने जीरे की जरूरत पड़ती है। दोनों चीजों को कूट कर पाउडर बना लें। इसके अलावा तड़के के लिए पंचफोरन की जरूरत पड़ती है। ओड़ीशा के व्यंजनों में पंचफोरन का उपयोग अवश्य होता है। पंचफोरन में पांच चीजें इस्तेमाल होती हैं- साबुत जीरा, सौंफ, सरसों, मेथी दाना और कलौंजी। कलौंजी वहां के व्यंजनों की विशिष्टता है।

जब दालें आधा पक जाएं तो उसमें कटी हुई सब्जियां डाल दें। अगर और नमक की जरूरत है, तो डाल दें और ढंक कर पकने दें। सब्जियों को पकने में पंद्रह से बीस मिनट लगेगा। सब्जियां बिल्कुल गलनी नहीं चाहिएं, पक कर नरम हो जानी चाहिए। यह व्यंजन लबाबदार ही बनता है, इसलिए इसमें पानी की मात्रा का ध्यान रखें। वैसे तो दाल में पहले से पानी था और फिर सब्जियां अपना पानी छोड़ेंगी, इसलिए अलग से पानी डालने की जरूरत नहीं होनी चाहिए, मगर फिर भी दालमा अगर अधिक गाढ़ा लग रहा हो, तो उसमें थोड़ा पानी और डाल सकते हैं।

अब ऊपर से कुटी हुई लाल मिर्च और भुना जीरा पाउडर डालें, मिलाएं और दो मिनट के लिए पकने दें। आंच बंद कर दें। अब इसके तड़के की तैयारी कर लें। एक पैन में दो चम्मच घी गरम करें, उसमें पंचफोरन तड़काएं और दालमा में डाल कर अच्छी तरह मिला दें। थोड़ी देर ढंक कर रखें ताकि तड़के की गंध पूरे दालमा में रम जाए। इसे हरा धनिया से सजा कर परोसें। चावल या रोटी किसी के भी साथ खा सकते हैं।

परवल का चोखा

यह पूर्वी भारत का बहुत लोकप्रिय व्यंजन है। यह परवल का मौसम भी है। इस मौसम में परवल को लोग तरह-तरह से बना कर खाते हैं। कुछ लोग आलू के साथ बनाते हैं, तो कुछ भरवां बनाते हैं। मगर परवल का चोखा या चटनी लाजवाब होती है। इसे बनाना इतना आसान है कि गांवों में लोग जब कोई सब्जी नहीं बनी होती और तुरंत कुछ खाने का मन हो तो परवल का चोखा बना लेते हैं। इसमें बहुत अधिक सामग्री की भी जरूरत नहीं पड़ती। आमतौर पर गांव के लोग तो परवल को आग में भूनते और उसमें नमक, मिर्च, थोड़ा सरसों तेल डाल कर मसल कर चोखा तैयार कर लेते हैं। मगर जब आपको इसे व्यंजन की तरह बनाना है, तो थोड़ा अलग रूप देना पड़ेगा।

परवल का चोखा बनाने के लिए छह-सात या इससे अधिक मोटे वाले परवल लें। उन्हें अच्छी तरह धोकर दोनों सिरों को काट दें। गैस पर इन्हें धीमी आंच पर भुनने के लिए रख दें, जैसे बैगन वगैरह भूनते हैं। इसके साथ ही एक बड़े आकार का टमाटर भी भूनने के लिए रख दें। अगर टमाटर पसंद न हो, तो छोड़ भी सकते हैं।

जब तक परवल और टमाटर भुन रहे हैं, तब तक इसमें डालने के लिए दूसरी सामग्री तैयार कर लें। इसमें एक छोटा प्याज, दो-तीन हरी मिर्चें, छोटा टुकड़ा अदरक और सात-आठ लहसुन की कलियों की जरूरत पड़ेगी। उन्हें साफ करके बारीक-बारीक काट लें। थोड़ा हरा धनिया भी काट कर अलग रख लें।

परवल और टमाटर को पलटते हुए अच्छी तरह भून लें, ताकि वे पक कर नरम हो जाएं। पकने के बाद उनहें आग से उतार लें। टमाटर का छिलका उतार लें। परवल को कपड़े से पोंछ लें ताकि उनकी कालिख उतर जाए। इन्हें एक बड़े कटोरे में रख कर खरल या मथानी से दबा कर मसल लें। मिक्सर में डालने से इसका दरदरापन खत्म हो जाता है, इसलिए जितना हो सके, हाथ से ही मसलें।

अब इसमें एक खाने के चम्मच बराबर सरसों का कच्चा तेल, जरूरत भर का नमक और कटा हुआ प्याज, लहसुन, अदरक, धनिया डालें और अच्छी तरह मिला लें। इसमें प्याज और लहसुन कच्चा ही डाला जाता है, इसी से इसका स्वाद आता है।
यह चोखा भी है और चटनी भी। इसे आमतौर पर सत्तू की लिट्टी के साथ खाया जाता है, मगर चावल-दाल के साथ भी इसका मेल अच्छा बैठता है। स्वाद में बदलाव लाने के लिए परवल का चोखा अवश्य बनाएं। इसमें अपने स्वाद के अनुसार कोई प्रयोग करना चाहें, तो वह भी कर सकते हैं।