साल 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में सिख विरोधी दंगे शुरू हो गए थे। इन दंगों में भीड़ ने रामविलास पासवान के घर को भी फूंक दिया था। वे किसी तरह अपनी जान बचाकर 12 राजेंद्र नगर रोड स्थित सरकारी आवास से निकल पाए थे। तब पासवान के बेटे चिराग सिर्फ डेढ़ साल के थे। आग से बचाने के लिए रामविलास ने उन्हें कपड़े में लपेट लिया था। अपने घर से जान बचाकर निकलने के बाद पासवान 12 तुगलक रोड स्थित चौधरी चरण सिंह के आवास पर पहुंचे।
चौधरी चरण सिंह ने एक हफ्ते तक पासवान को अपने घर पर रखा। इसके बाद वे हरियाणा भवन में शिफ्ट हो गए। हालांकि उनकी मुश्किलें कम नहीं हुईं। हाल ही में पेंगुइन प्रकाशन से आई पासवान की जीवनी “रामविलास पासवान: संकल्प, साहस और संघर्ष” में प्रदीप श्रीवास्तव ने उस घटना का विस्तार से जिक्र किया है कि कैसे इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव में हार के बाद पासवान के सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया था।
बच्चे का एडमिशन करवा दिया था स्कूल में: 1984 के चुनावों में कांग्रेस ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। उस चुनाव में विपक्ष के तमाम दिग्गज नेता भी हार गए थे, जिसमें रामविलास पासवान भी शामिल थे। उन्हें हाजीपुर की अपनी सीट गंवानी पड़ी थी। पासवान ने अपने बच्चे का एडमिशन दिल्ली के स्कूल में करवा दिया था तो वो वापस बिहार भी नहीं लौट सकते थे।
चुनाव हारने के बाद पासवान के पास ले-देकर सिर्फ सरकारी पेंशन ही सहारा बची थी। उस समय सांसदों को मिलने वाली पेंशन 600 रुपए थी। इसी 600 रुपए से पासवान को मकान का किराया, बच्चों की स्कूल फीस और घर का खर्च चलाना होता था। कुछ समय तक हरियाणा भवन में रहने के बाद पासवान संसद के बगल में स्थित विट्ठलभाई पटेल भवन में दो कमरे के हॉस्टल में आ गए। लेकिन ये व्यवस्था सांसदों के मेहमानों के रहने के लिए बनाई थी तो उन्हें हर तीन महीने में किसी सांसद से आवेदन की अनुमति लेनी होती थी।
सासंद से मांगी मदद: ऐसे में पासवान की दिक्कतों को देख कांग्रेस नेता बलवंतसिंह रामूवालिया ने उन्हें कहा, ‘साउथ एवेन्यू में एक फ्लैट खाली है अगर वे वहां रहना चाहते हैं तो सांसद तेजा सिंह दर्रा से पूछ सकते हैं।’ दरअसल तेजा सिंह संसद सत्र के दौरान ही दिल्ली में रहते थे ऐसे में वो फ्लैट खाली पड़ा रहता था। पासवान ने हिम्मत जुटाकर तेजा सिंह से फ्लैट के लिए बात की और उन्हें वहां रहने की अनुमति मिल गई।
इन सबके बावजूद परिवार के सामने आर्थिक संकट बना हुआ था। एक बार पासवान को बीजू पटनायक से मिलने जाना था और उन्हें देर हो गई थी, लेकिन उनके पास ऑटो के किराए के पैसे नहीं थे। पत्नी रीना ने इधर-उधर से ढूंढकर पांच रुपए दिए। वह इन पैसों से बीजू पटनायक से मिलने पहुंचे। बातचीत खत्म हुई तो बीजू पटनायक ने उनसे पूछा- सब कुछ ठीक तो है? पासवान ने जवाब में कहा- सबकुछ तो ठीक नहीं है।
राम विलास पासवान ने बीजू पटनायक को बताया कि जैसे-तैसे करके पैसे जमाकर उनके पास पहुंच तो गए हैं, लेकिन अब वापसी के भी पैसे नहीं बचे हैं। बीजू पटनायक ने अपनी जेब से तुरंत उन्हें ढाई हजार रुपए निकालकर दिए।