ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी विजयाराजे सिंधिया भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में एक थीं। ज्योतिरादित्य के पिता माधव राव सिंधिया ने भी राजनीति की शुरुआत जनसंघ से की थी। हालांकि बाद में उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया था। साल 1975 में इमरजेंसी के दौरान विजयाराजे सिंधिया जेल में बंद थीं तो वहीं माधव राव सिंधिया अपनी पत्नी के साथ नेपाल चले गए थे।
वरिष्ठ पत्रकार एन.के सिंह ने अपनी रिपोर्ट ‘डॉमेस्टिक बैटल बिटवीन विजयाराजे एंड माधव राव सिंधिया’ में लिखा था, ‘माधव राव की जो बात राजमाता को सबसे बुरी लगी थी कि वो इमरजेंसी के दौरान नेपाल भाग गए थे जबकि वो जेल में बंद थीं। इससे उन्हें बहुत धक्का लगा था। माधव राव के तमाम विरोध के बावजूद विजयाराजे ने कभी अपने राजनीतिक सलाहकार बाल आंग्रे को अलग नहीं किया।’
मां और बेटे के बीच तल्खियों की शुरुआत के कई कारण थे। एन.के सिंह ने अपनी एक रिपोर्ट में लिखा था, विजयाराजे सिंधिया अपने राजनीतिक सलाहकार बाल आंग्रे पर जरूरत से ज्यादा विश्वास करती थीं जो माधव राव सिंधिया को बिल्कुल भी पसंद नहीं था। माधव राव सिंधिया ने तो एक बार विजयाराजे के सामने बाल और उनमें से किसी एक को चुनने की शर्त रख दी थी। लेकिन विजयाराजे सिंधिया ने आंग्रे को चुना था।
विजयाराजे सिंधिया ने अपनी आत्मकथा ‘प्रिंसेज’ में भी इसका जिक्र किया है। विजयाराजे ने लिखा था, ‘मेरे पति के नज़दीकी रिश्तेदार और दोस्त के तौर पर आंग्रे ने काफी मदद की है। हिंदू धर्म के प्रति हम दोनों की सोच एक जैसी थी। उनके और मेरे राजनीतिक विचार भी काफी मिलते थे। आंग्रे हमारे वित्तीय सलाहकार तक बन गए थे। उनकी सलाह के बिना हमारे परिवार का कोई फैसला नहीं होता है।’
मां ने ढूंढनी शुरू की थी लड़की: माधव राव सिंधिया की शादी का किस्सा भी कम दिलचस्प नहीं है। माधव राव सिंधिया के लिए विजयाराजे लड़की ढूंढ रही थीं। तभी उन्होंने शर्त रख दी थी कि वह अपने होने वाली पत्नी से एक बार पहले मिलना चाहते हैं। लेकिन राजघराने की लड़कियों के परिजनों को जैसे ही इस बारे में बताया जाता था तो वह इसके लिए मना कर देते थे। कई रिश्ते कैंसिल होने के बाद आखिरकार माधव राव ने माधवी राजे से शादी कर ली।

