सोनिया और राजीव गांधी की पहली मुलाकात कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में हुई थी। दोनों साथ पढ़ा करते थे। जान-पहचान के बावजूद सोनिया को राजीव के बारे में कुछ खास नहीं पता था। राजीव यह बात छिपाकर रखते थे कि वे इंदिरा गांधी के बेटे हैं। लंबे वक्त तक सोनिया को भी इसकी भनक नहीं लगने दी थी। वरिष्ठ पत्रकार और लेखक राशिद किदवई ने अपनी किताब ‘सोनिया: ए बायोग्राफी’ में दोनों की मुलाकात का विस्तार से जिक्र किया है।

वे लिखते हैं कि सोनिया ने पहली बार वर्सिटी रेस्त्रां में राजीव को गौर से देखा था। राजीव की एक आदत उन्हें काफी पसंद आई थी। दरअसल, वर्सिटी रेस्त्रां में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के छात्रों का जमावड़ा लगता था। वहां सभी बियर पीते थे। राजीव भी अपने दोस्तों के साथ वहां जाते थे लेकिन वे अकेले ऐसे शख्स थे जो बियर को हाथ तक नहीं लगाते थे। एक दिन सोनिया की उनपर नज़र पड़ी और वे काफी आकर्षित हुईं।

नहीं बताया था अपना पूरा परिचय: राजीव गांधी ने लंबे वक्त तक सोनिया को यह भी नहीं बताया था कि वह भारत के प्रधानमंत्री के बेटे हैं। एक बार जब एक अखबार में इंदिरा गांधी की तस्वीर छपी थी तो राजीव ने बातों ही बातों में सोनिया को बताया था कि ये उनकी मां की तस्वीर है। बाद में कैंब्रिज में पढ़ने वाले एक अन्य भारतीय छात्र ने सोनिया को बताया था कि इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री हैं। आपको बता दें कि सोनिया और राजीव गांधी की शादी साल 1968 में हुई थी।

विमान में भी नहीं देते थे परिचय: सक्रिय सियासी जीवन में आने से पहले राजीव गांधी किसी को अपना पूरा परिचय देने से कतराते थे। यहां तक कि जब वे विमान उड़ाया करते थे, तब भी किसी को पूरा नाम नहीं बताते थे।

‘बीबीसी’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राजीव गांधी जब पायलट के रूप में विमान में मौजूद होते थे तो अपना पूरा नाम नहीं बताया करते थे। सिर्फ अपना पहला नाम लेकर ही फ्लाइट में यात्रियों का स्वागत करते थे। यहां तक कि कैप्टन को भी कह रखा था कि राजीव गांधी का पूरा नाम नहीं बताया जाए।

बीबीसी के मुताबिक उस वक्त राजीव गांधी को 5 हजार रुपए तनख्वाह मिला करती थी।