उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव को देखते हुए प्रतापगढ़ के कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया एक बार फिर चर्चा में हैं। राजा भैया ने साफ कर दिया है कि वह इन चुनावों में समान विचारधारा वाले दलों से ही गठबंधन करेंगे। राजा भैया से जब बीजेपी को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा था कि अभी तक इसका निर्णय नहीं किया है, चुनाव के बाद इस पर पार्टी के अन्य नेताओं की सहमति के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा। राजा भैया ने कुंडा से लगातार सात बार जीत हासिल कर एक नया रिकॉर्ड बनाया था।
प्रतापगढ़ के पूरे इलाके में उनके परिवार का शुरुआत से वर्चस्व रहा है और यही वजह है कि निर्दलीय उम्मीदवार होने के बाद भी जनता उन्हें चुनती है। उनके पिता उदय प्रताप सिंह भदरा रियासत के महाराज रहे हैं। उदय प्रताप सिंह आरएसएस के सक्रिय कार्यकर्ता रहे हैं और वह हर साल मुहर्रम वाले दिन हनुमान पाठ, भंडारा करवाते थे। लेकिन लंबे समय से उन्हें ऐसा करने की इजाजत नहीं मिल रही है। साल 2019 में उदय प्रताप सिंह को प्रशासन ने समर्थकों के साथ घर में नज़रबंद कर दिया था, इसके अलावा उनके ऊपर संगीन धाराओं में मुकदमा भी दर्ज किया गया था।
प्रशासन की तरफ से बताया गया था, ‘मुहर्रम का जुलूस निकलने के बाद पता चला कि 15 भगवा झंडे गैर-परंपरागत तरीके से राजा उदय प्रताप सिंह द्वारा लगा दिए गए थे। इस मामले में एसडीएम ने एक आदेश पारित कर उन्हें ये झंडे हटाने के लिए बोला था, लेकिन उन्होंने इन झंडों को नहीं हटाया था। साथ ही समझौता करने की बात आई तो उन्होंने किसी प्रकार का सहयोग भी नहीं किया था। मुहर्रम का जुलूस भारी पुलिसबल लगाकर निकलवाना पड़ा और इससे तनावपूर्ण स्थिति बन गई थी। जुलूस निकलने के बाद भी झंडे नहीं हटाने के बाद उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया है।’
कब से नहीं मिल रही इजाजत? साल 2015 में ताजिया के दौरान क्षेत्र में तनाव की स्थिति बन गई थी। इसके बाद मुस्लिम समुदाय ने हाईकोर्ट का रुख किया था। साल 2016 में फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने प्रशासन को आदेश दिए कि भंडारे के आयोजन को स्थगित कर दिया जाए। साल 2017 के बाद से कोर्ट के आदेश का पालन करने के उद्देश्य से हर साल प्रशासन द्वारा उदय प्रताप सिंह को घर में नज़रबंद कर दिया जाता है। पिछले साल भी उदय प्रताप सिंह को करीब दो दिन तक भदरी महल में नज़रबंद कर दिया गया था।