साल 2017 में पंजाब में कांग्रेस को एक तरफा जीत मिली थी। कांग्रेस के लिए प्रशांत किशोर ने रणनीति बनाई थी, लेकिन दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। आम आदमी पार्टी ने कुल 112 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से उसे 20 सीटों पर जीत मिली थी। जबकि कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थीं। पंजाब विधानसभा चुनाव के बाद प्रशांत किशोर को अरविंद केजरीवाल ने अपने घर बुलाया था।
प्रशांत किशोर ने इसका खुलासा खुद एक इंटरव्यू में किया था। वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त प्रशांत किशोर से पूछती हैं, ‘मैं आपसे ऐसे राजनेता के बारे में पूछना चाहती हूं जो आईआईटी से पढ़े हुए हैं और आप निजी रूप से उन्हें हराने पर बहुत जोर देते हैं। मैं अरविंद केजरीवाल के बारे में बात कर रही हूं। आपने पंजाब में कहा कि आपके लिए आम आदमी पार्टी को हराना बहुत मायने रखता है ऐसा क्यों है कि आप एक दल हराना चाहते थे?’
इसके जवाब में प्रशांत किशोर कहते हैं, ‘मेरी अरविंद केजरीवाल से कोई निजी दुश्मनी नहीं है। यहां तक कि मैं तो उनसे पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले मिला भी नहीं था। हां, चुनाव के बाद मैं उनसे जरूर मिला था। तब तक वह चुनाव हार चुके थे। बाद में कई बार मिलना हुआ था। मुझे उन्होंने पंजाब विधानसभा चुनाव में हार का कारण जानने के लिए अपने घर पर बुलाया था। 2015 में दिल्ली में आप जीती थी। सोशल मीडिया पर आप और I-PAC की तुलना होने लगी थी।’
केजरीवाल से इंटरव्यू में क्या कहा था? प्रशांत किशोर ने कहा था, ‘मैंने उसी तुलना का जवाब देने के लिए पंजाब में कांग्रेस के लिए काम किया और जीत दिलवाई। केजरीवाल ने तो यहां तक कह दिया था कि अगर कांग्रेस को प्रशांत किशोर पर इतना विश्वास है तो वह प्रशांत को ही मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार क्यों नहीं बना देती है। अरविंद केजरीवाल ने मुझसे मुलाकात में कहा कि अब आप दिल्ली आओ वहीं आपको देखेंगे।’
बता दें, साल 2017 में शिरोमणि अकाली दल को 94 सीटों में से सिर्फ 15 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि बीजेपी ने 23 में से सिर्फ 3 सीटें ही जीती थीं। जबकि आम आदमी पार्टी के साथ चुनाव लड़ी लोक इंसाफ पार्टी को 5 सीटों में से 2 पर जीत मिली थी। पहली ही चुनाव में आम आदमी पार्टी ने शिरोमणि अकाली दल से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस ने 117 में से 77 पर जीत हासिल कर सरकार बनाई थी और अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री बने थे।