उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव प्रदेश की राजनीति के प्रमुख स्तंभ रहे हैं। उनके चचेरे भाई प्रोफ़ेसर रामगोपाल यादव से उनकी नजदीकियां खूब रहीं। पेशे से अध्यापक रहे रामगोपाल यादव मुलायम सिंह यादव के थिंक टैंक कहे जाते हैं। यादव परिवार में सबसे पढ़े- लिखे माने जाने वाले रामगोपाल यादव पार्टी में बड़ी हैसियत रखते हैं। फिलहाल वो समाजवादी पार्टी से राज्यसभा सांसद हैं। रामगोपाल यादव के बेटे बिल्लू उर्फ़ आसीत (जिनकी मौत हो चुकी है) को एक जमाने में मुलायम सिंह का बेहद करीबी माना जाता था।

मुलायम सिंह के दाहिने हाथ थे बिल्लू- मुलायम सिंह जब उत्तर प्रदेश की राजनीति के शीर्ष पर थे तब बिल्लू उनके सहयोगी के रूप में काम करते थे। बिल्लू मुलायम सिंह यादव से होने वाली सभी मुलाकातों का समय तय करते थे। बिल्लू की जान पहचान का हर कोई कायल था। समाजवादी पार्टी के नेता संगीत यादव ने बिल्लू के बारे में बताया था कि बिल्लू का जैसा नेटवर्क था, वैसा किसी का नहीं हो सकता, वो नेताजी ( मुलायम सिंह यादव) और अखिलेश यादव के पल- पल की खबर रखते थे। बिल्लू अपने पिता से ज़्यादा अपने चाचा मुलायम सिंह यादव से लगाव रखते थे।

अखिलेश यादव और बिल्लू में थी गहरी दोस्ती- अखिलेश यादव और बिल्लू हमउम्र थे। दोनों बचपन में साथ – साथ ही खेले थे। दोनों की दोस्तो की उन दिनों मिसालें दी जाती थी। अखिलेश यादव आज भी उन्हें भूले नहीं हैं। जब अखिलेश यादव सिडनी पढ़ने के लिए गए थे तब वो बिल्लू को एक मोबाइल फोन देकर गए थे ताकि बिल्लू के ज़रिए वो अपने परिवार के संपर्क में बने रहे। उन दिनों मोबाइल फोन बहुत दुर्लभ वस्तु मानी जाती थी फिर भी अपने चचेरे भाई को अखिलेश यादव ने मोबाइल फोन दिया था। अखिलेश यादव की जीवनी ‘विंड्स ऑफ चेंज’ में भी इस बात का जिक्र है। यह जीवनी वरिष्ठ पत्रकार सुनीता एरोन ने लिखी है।

शादी के 40 दिनों बाद हो गई थी कि बिल्लू की मौत- बिल्लू की शादी 1999 में उनकी स्कूल की दोस्त अभिलाषा से हुई थी। लेकिन दुर्भाग्यवश बिल्लू की मौत शादी के महज 40 दिनों बाद हो गई थी। उनकी अचानक हुई मौत से पूरे परिवार में मातम छा गया था। परिवार को इस दुख से उबरने में काफी वक़्त लगा था।