गर्भवती महिलाओं में कम और साथ ही उच्च बीएमआई दोनों ही गर्भावस्था में जटिलताएं होने के खतरे को बढ़ाते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार कम वजन वाली महिलाओं में गर्भपात, समय से पहले प्रसव और जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा जन्म के समय अधिक वजन वाली महिलाओं में गर्भपात, गर्भकालीन मधुमेह, उच्च रक्तचाप, समय से पहले प्रसव का खतरा बढ़ जाता है।
गर्भवती महिलाओं को अपने साथ-साथ गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना पड़ता है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं को गर्भवती महिला को हर 4 घंटे में कुछ खाने की कोशिश करनी चाहिए। ध्यान रखें कि वही खाद्य पदार्थ खाएं जो आपके लिए पौष्टिक हो। इसके अलावा वजन बढ़ने कि चिंता करने के बजाय अच्छी तरह से खाने कि ओर ध्यान देना चाहिए। वहीं महिलाएं कच्चा दूध न पियें, मदिरापान अथवा धूम्रपान न करें, कैफीन की मात्रा कम करें, साथ ही गर्भवती महिलाओं को गर्म मसालेदार चींजे नहीं खाना चाहिए।
शिशु की जान का खतरा: गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के पेट का आकार बढ़ जाता है, इसके अलावा उनके वजन में भी बढ़ोतरी होती है। जिसके कारण रनिंग के दौरान संतुलन बिगड़ने के साथ ही असंतुलित होकर गिरने का खतरा बना रहता है। खासकर, जब जॉगिंग या तेजी से चलने के दौरान कुछ महिलाओं को दौ़ड़ने से कमर, पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है। इसके अलावा कई बार गिरने से खासकर पेट के बल गिरने से पेट में पल रहे शिशु की जान को भी खतरा हो सकता है।
बढ़ जाता है गर्भपात का खतरा: ‘न्यू साइंटिस्ट’ में छपे एक अध्ययन के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान गर्भवती महिलाएं बिना किसी सावधानी या नियमों के पालन किए बगैर एक दिन में लंबे समय तक दौड़ती हैं, लंबे समय तक एक्सरसाइज करती हैं, तो उनका गर्भपात होने की संभावना बहुत अधिक होती है। इस दौरान महिलाओं के गर्भाशय में खिंचाव पड़ता है, जिससे गर्भपात का खतरा होता है।
थोड़ी-थोड़ी देर पर कुछ खाती रहें: महिलाओं को कोशिश करनी चाहिए कि वो थोडे-थोडे अंतराल पर कुछ-कुछ खाती रहें और फल, नारियल पानी या ग्लूकोज मिला पानी आदि लेती रहें। मॉर्निंग सिकनेस से बचने के लिए नींबू-पानी या अदरक की चाय पी जा सकती हैं। दिनभर में कम से कम 3-4 बार तरल चीजें, जैसे छाछ, नींबू-पानी, नारियल पानी, फलों का जूस या शेक का सेवन करें।