फॉल्स प्रेग्नेंसी एक ऐसा भ्रम होता है जिसमें महिलाओं को लगने लगता है कि वो प्रेग्नेंट हैं लेकिन वास्तव में वो प्रेग्नेंट नहीं होती हैं। बता दें कि फॉल्स प्रेग्नेंसी को मेडिकल भाषा में स्यूडोसाइसिस भी कहा जाता है। बता दें कि फॉल्स प्रेग्नेंसी की स्थिति में महिलाओं को यह महसूस होने लगता है कि उनके गर्भ में शिशु पल रहा है और वह जल्द ही मां बनने वाली हैं।
इसके अलावा यह भ्रम कई बार महिलाओं के अलावा उनके साथ रह रहे दूसरे लोगों को भी लगने लगता है। क्योंकि कई बार फॉल्स प्रेग्नेंसी के समय भी महिलाओं में गर्भवती महिलाओं के जैसे ही लक्षण नजर आने लगते हैं। आइए जानते हैं फॉल्स प्रेग्नेंसी के लक्षण और कारण।
फॉल्स प्रेग्नेंसी के समय नजर आने वाले लक्षण
आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन यह बिल्कुल सच है कि कई बार फॉल्स प्रेग्नेंसी में महिलाओं को गर्भवती महिलाओं के जैसे ही लक्षण अपने शरीर में महसूस या नजर आने लगते हैं। दरअसल ऐसे समय में महिलाओं में थकान होना, वजन बढ़ना, पेट का फूलना, पीरियड्स का मिस होना, जी मिचलाना आदि लक्षण नजर आने लगने हैं। जो कि उन महिलाओं में भी नजर आते हैं जो वास्तव में गर्भवती होती हैं।
फॉल्स प्रेग्नेंसी के कारण
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार अक्सर फॉल्स प्रेग्नेंसी का शिकार वही महिलाएं होती हैं जिनमें मां बनने की इच्छा ओरों के मुकाबले ज्यादा होती है। या फिर जिन महिलाओं का कई बार गर्भपात हो गया होता है और जिन महिलाओं को मां बनने में कोई दिक्कत होती है। बता दें कि फॉल्स प्रेग्नेंसी एक मनोरोग या मानसिक दबाव के कारण होती है। यही सब कारण फॉल्स प्रेग्नेंसी की वजह बन जाते हैं। बता दें कि कई बार डिप्रेशन से पीड़ित महिलाएं , गरीबी और साक्षरता की कमी के कारण भी फॉल्स प्रेग्नेंसी का भ्रम महिलाओं में होने लगता है।
फॉल्स प्रेग्नेंसी का इलाज
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार जो महिलाएं इस प्रकार की समस्याओं का सामना कर रहीं हैं। उन्हें सबसे पहले खुद को यह समझाना होगा कि यह सब उनका भ्रम है जबकि वास्तव में वह गर्भवती नहीं हैं। इसके अलावा स्त्री रोग विशेषज्ञ से भी संपर्क कर सकती हैं या फिर किसी अच्छे मनोरोग डॉक्टर की सलाह लें। क्योंकि फॉल्स प्रेग्नेंसी एक तरह की मनोरोग की समस्या है और जिसका इलाज अपने दिमाग को शांत रखना व मन को समझाना और सच्चाई का सामना करना है।
इसके अलावा फॉल्स प्रेग्नेंसी का शिकार हुई महिलाओं को फैमिली सपोर्ट और जो उनकी स्थिति को समझ सके ऐसे लोगों की जरूरत होती है। इसलिए ऐसी महिलाओं को अकेला न छोड़ें और कोई भी दिमागी प्रेशर न दें व खुश रखने का प्रयास करें।