घर में नया मेहमान आने वाला हो तो किसे खुशी नहीं होती। ऐसे में अगर पता चले कि गर्भ में जुड़वा बच्चे पल रहे हैं तो यह खुशी दोगुनी हो जाती है। हालांकि जुड़वा बच्चों की डिलीवरी एक बच्चे की डिलीवरी से ज्यादा कठिन होती है। ऐसे समय में मां का विशेष ख्याल रखने की जरूरत होती है। गर्भवती महिला को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों का सेवन करना चाहिए। पोषक तत्वों की मात्रा निश्चित करते हुए यह ध्यान रखना चाहिए कि महिला में पेट में दो-दो जिंदगियां पल रही हैं, और मां के ही भोजन से उन्हें आवश्यक न्यूट्रिशन्स की आपूर्ति होती है।
इसके अलावा गर्भवती महिला को लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए तथा हर आवश्यक टेस्ट्स को करवाते रहना चाहिए। महिला को अपने डाइट पर खास ध्यान देना है। ऐसे में उनके भोजन में फोलिक एसिड, आयरन, कैल्सियम और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों को शामिल करना चाहिए। जुड़वा बच्चों से गर्भवती महिलाओं में एनीमिया का खतरा काफी बढ़ जाता है। ऐसे में उनकी डाइट में गर्भवती महिलाओं के लिए आवश्यक विटामिंस के साथ अतिरिक्त मात्रा में आयरन को भी शामिल करना चाहिए। अच्छी डाइट के साथ-साथ उन्हें काफी मात्रा में आराम की भी जरूरत है। कभी कभी गर्भाधान की दूसरी तिमाही में उन्हें हार्ड बेड रेस्ट की भी जरूरत पड़ जाती है।
सामान्य प्रेगनेंसी में 39 हफ्तों में डिलीवरी होती है लेकिन जुड़वा बच्चों के लिए प्रेग्नेंसी में 37 हफ्तों में ही डिलीवरी हो जाती है। अगर इससे पहले डिलीवरी की संभावना बनती है तो डॉक्टर्स गर्भवती महिला में स्टेरॉइड्स इंजेक्ट कर देते हैं जिससे कि बच्चे के फेफड़े विकसित हो सकें। समयपूर्व डिलीवरी में अक्सर बच्चों के फेफड़ों में अपरिपक्वता देखी गई है। इसके अलावा ट्विंन प्रेग्नेंसी में गर्भवती महिला को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या का भी काफी खतरा रहता है जिसकी वजह से प्रीक्लेम्प्सिया होने की काफी संभावना रहती है। ऐसे में गर्भवती महिला को अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता रहती है।