प्री-मैच्योर बच्चों का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है क्योंकि उन्हें स्वास्थ्य समस्या होने का खतरा ज्यादा होता है। उनके खान-पान से लेकर हाईजीन तक का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है ताकि उन्हें किसी तरह का कोई इंफेक्शन ना हो। प्री-मैच्योर नवजातों का ध्यान रखने के साथ-साथ मां को भी अपना ध्यान रखना जरूरी होता है क्योंकि उनकी एक छोटी सी भी लापरवाही बच्चे के सेहत पर गलत प्रभाव डाल सकती है। प्री-मैच्योर बेबी के साथ-साथ मां को भी अपनी हाईजीन का खास ध्यान रखना चाहिए ताकि बच्चे को किसी प्रकार का कोई इंफेक्शन ना हो जाए।

एक शोध के अनुसार प्री-मैच्योर बच्चे को निश्चित रूप से कैफीन का सेवन करवाना चाहिए। कैफीन बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर रखता है और मस्तिष्क का विकास भी सही तरीके से करने में मदद करता है। इसके अलावा कैफीन बच्चे की श्वास प्रणाली को भी साफ रखता है। कनाडा के एक जर्नल पीडियाट्रिक्स ने शोध में बताया कि 29 सप्ताह से पहले जन्में बच्चे को एनआईसीयू में आवश्यक रूप से कैफीन देना चाहिए।

इस शोध में एक प्रोफेसर ने यह भी बताया कि एनआईसीयू में कैफीन एक प्रकार से एंटीबायोटिक्स की तरह काम करता है। इन सबके बीच सबसे जरूरी यह है कि इस एंटीबायोटिक्स का सेवन बच्चे के सर्वाइकल को बेहतर करने के साथ-साथ और भी कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करें।

कोलम्बिया के शोधकर्ताओं ने बताया कि 26 एनआईसीयू के मुताबिक मिले आंकड़ों से इस बात का पता चला है कि कैफीन बच्चे के तंत्रिका तंत्र के विकास में मदद करता है और इससे उनके स्वास्थ्य पर कोई नुकसान नहीं होता है।