प्रशांत किशोर ने साल 2014 में बीजेपी के लिए चुनाव की रणनीति तैयार की थी। इसमें बीजेपी को मिले बहुमत के बाद प्रशांत किशोर की भी खूब चर्चा हुई थी। इसके बाद उन्होंने साल 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान जेडीयू के लिए काम किया था और नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री बनने के बाद जेडीयू में उन्हें अहम जिम्मेदारी भी दी गई थी। हालांकि बाद में उन्होंने जेडीयू से अलग होने का फैसला किया था।

2021 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में वह ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस की मदद के लिए आगे आए थे। ममता बनर्जी से उनकी पहली मुलाकात को लेकर एक इंटरव्यू में सवाल पूछा गया था। ‘द लल्लनटॉप’ से बातचीत में प्रशांत किशोर ने बताया था, ‘मैं 2015 से दीदी से मिलता रहा हूं। 2015 बिहार के नतीजों के बाद ममता बनर्जी शपथ ग्रहण समारोह में आई थीं तो मैं उनसे मिला था। उसके बाद 2016 के चुनाव से पहले उन्होंने मुझे पश्चिम बंगाल बुलाया भी था।’

प्रशांत किशोर आगे बताते हैं, ‘कई दिनों तक उनसे मेरी बातचीत भी चलती रही। उन्हें लगता था कि शायद यहां मदद की जरूरत है या हम लोग कुछ कर सकते हैं क्या? मैं उस दौरान बिहार के काम में व्यस्त था। हम लोग 10-20 लड़के यहां रहे भी थे। मैंने उन्हें कहा कि यहां कोई ऐसी जरूरत नहीं है और आप आराम से चुनाव जीत रहे हैं। अब हम युवाओं की तरह सोच रहे थे और हमें उत्तर प्रदेश और पंजाब का चुनाव यहां से बड़ा लग रहा था तो हम लोगों ने वहां जाने का फैसला कर लिया था।’

राहुल गांधी से मुलाकात: प्रशांत किशोर ने एक अन्य इंटरव्यू में बताया था, इस प्रोग्राम के दौरान ही उनकी पहली बार राहुल गांधी से भी मुलाकात हुई थी। उस दौरान 2017 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई थी। इसलिए राहुल ने प्रशांत को कांग्रेस के लिए काम करने का ऑफर दिया था। अब प्रशांत किशोर के साथी भी चाहते थे कि वह इन चुनावों में कांग्रेस का साथ दें। यही वजह रही कि उन्होंने पंजाब और उत्तर प्रदेश के लिए कांग्रेस के चुनाव प्रचार की कमान संभाली।

बता दें, यूपी में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। इन चुनावों में कांग्रेस की करारी हार हुई थी। जबकि पंजाब में मिली जीत के बाद कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब हुई थी।