पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के लिए चुनावी रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर और एनसीपी प्रमुख शरद पवार की मुलाकात के बाद अटकलें लगनी शुरू हो गई हैं। सियासी गलियारे में इस मुलाकात को 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले विपक्षी पार्टियों को गोलबंद करने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है। आपको बता दें कि 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की जीत के बाद ही पहली बार प्रशांत किशोर चर्चा में आए थे। उस वक्त वो प्रधानमंत्री मोदी के करीबी हुआ करते थे।
2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के लिए रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर को लेकर दावा किया गया था कि उन्होंने चुनाव से पहले नरेंद्र मोदी को उनका करण थापर को दिया वह इंटरव्यू बार-बार दिखाया था जिसे मोदी अधूरा छोड़ कर निकल गए थे। करण थापर की किताब में भी इस बात का जिक्र था। लेकिन प्रशांत किशोर ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया था।
द लल्लनटॉप को दिए एक इंटरव्यू में जब प्रशांत किशोर से इस बात को लेकर सवाल किया गया था तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया और कहा था कि ये करण थापर का अपना स्टाइल है। इस में कोई सच्चाई नहीं है कि नरेंद्र मोदी को वह वीडियो बार-बार दिखाया गया था। हां उस इंटरव्यू के मैंने जरूर कई बार देखा होगा।
नीतीश को दिलाई जीत, फिर हो गए अलग: बता दें कि प्रशांत ने साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के लिए रणनीति बनाई और बिहार में उनकी सरकार भी बनी। 2015 के विधानसभा चुनाव के बाद प्रशांत किशोर को जेडीयू का उपाध्यक्ष बना दिया गया था। हालांकि बाद में प्रशांत किशोर के नीतीश कुमार के साथ रिश्ते खराब हो गए और उन्होंने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था।
‘अब ये काम नहीं करूंगा’: आपको बता दें कि प्रशांत किशोर ने घोषणा की थी कि पश्चिम बंगाल चुनाव के बाद वे बतौर रणनीतिकार काम नहीं करेंगे। इस काम को छोड़ देंगे। हालांकि चुनाव बाद उनकी सक्रियता को देखकर उनकी अगली पारी और भूमिका को लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं।