आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि यानी आज (1 जुलाई को) भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा की शुरुआत हो रही है। कोरोना के चलते पिछले 2 वर्षों से यह यात्रा स्थानीय औपचारिकताओं के साथ पूरी की जा रही थी, लेकिन इस बार पूरी भव्यता के साथ पुनः यात्रा निकल रही है। देश के तमाम हिस्सों और दुनिया के कई देशों से श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ का दर्शन करने और यात्रा में शामिल होने के लिए पुरी पहुंचे हैं।
उधर, गृह मंत्री अमित शाह अहमदाबाद स्थित जगन्नाथ मंदिर की मंगला आरती में शामिल हुए। पुरी की तर्ज पर यहां भी भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब हर साल इस रथ यात्रा में शामिल हुआ करते थे। उनका इस मंदिर से पुराना नाता है। प्रचारक जीवन का काफी समय इस मंदिर में बिताया है।
मंदिर परिसर के कमरे में रहा करते थे: पीएम नरेंद्र मोदी जब 70 के दशक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस के प्रचारक हुआ करते थे तब उन्होंने अहमदाबाद के श्री जगन्नाथ मंदिर में लंबा वक्त गुजारा था। वे मंदिर परिसर के एक कमरे में रहा करते थे। हर दिन तड़के 4:00 बजे उठ जाया करते थे और मंगला आरती में जरूर शामिल हुआ करते थे। modistory.in को दिए एक इंटरव्यू में अहमदाबाद के श्री जगन्नाथ मंदिर के संरक्षक महेंद्र झा कहते हैं कि नरेंद्र मोदी को भगवान जगन्नाथ का प्रसाद खिचड़ी बहुत पसंद है। वे जब प्रचारक थे तो मंदिर के कार्यों में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया करते थे।
कर्फ्यू में यूं निकाली थी रथयात्रा: साल 1985 में गुजरात की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने शहर में कर्फ्यू लगा दिया और भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पर भी रोक लगा दी। नरेंद्र मोदी ने इसका विरोध किया और हर हाल में रथ यात्रा निकालने का ऐलान किया। महेंद्र झा बताते हैं कि पूरा अहमदाबाद कर्फ्यू के अंदर था। शूट एट साइट का ऑर्डर था, पुलिस कमिश्नर ने रथयात्रा निकालने से मना कर दिया था।
उस साल भगवान जगन्नाथ की 108वीं रथ यात्रा निकाली जानी थी। पुलिस कमिश्नर के इनकार के बाद सब मायूस हो गए। इसके बाद नरेंद्र मोदी ने मोर्चा संभाला। उन्होंने मंदिर के कर्मियों और पुजारियों के साथ-साथ स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की और प्लान किया कि किसी तरह अगर रथ बाहर आ गया तो यात्रा निकल जाएगी। महेंद्र झा बताते हैं कि अहमदाबाद में जो रथ यात्रा निकलती है उसके सबसे अगले हिस्से में गजराज यानी हाथी होते हैं।
मोदी ने महावतों के साथ अलग से बैठक की थी और उन्हें खास निर्देश दिये थे। उस दिन कुछ अनोखा हुआ। हाथी खुद अपने दांत से खींचकर रथ मंदिर परिसर से बाहर ले आए। इसके बाद तो धीरे-धीरे लोग जमा होने लगे और धूमधाम से यात्रा निकली।
12 जुलाई को होगा यात्रा का समापन: आपको बता दें कि पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा 1 जुलाई से शुरू होकर 12 जुलाई तक चलेगी। सबसे आगे बलरामजी, बीच में बहन सुभद्रा और पीछे भगवान जगन्नाथ का भव्य रथ होता है। भगवना जगन्नाथ की रथयात्रा के लिए जो रथ तैयार किय़ा जाता है वो नीम की लकड़ी से बना होता है। खास बात ये है कि इसमें एक भी कील या किसी अन्य धातु आदि का इस्तेमाल नहीं होता है।