बाढ़ग्रस्त केरल में सुरक्षा चेतावनी के बावजूद लोग ओणम मनाने की तैयारियां शुरु कर दी हैं। हाल ही में केरल में आय बाढ़ की वजह से 400 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और कई घर तबाह हुए थे। लेकिन केरलवासी इस त्रासदी को पीछे छोड़ एक बार फिर त्योहार के मौके पर खुशियां तलाशने की कोशिश कर रहे हैं। केरल में जहां एक ओर त्योहार के रंग दिखने लगे हैं, वहीं दूसरी ओर आतंकवादी हमले की खुफिया जानकारी मिलने के बाद जगह-जगह पुलिस कर्मी तैनात किए गए हैं।

पथानामथिट्टा जिले के पंडालम स्थित अपने पैतृक घर में ओणम की तैयारियों में लगी सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी सुशीला देवी अपने नाती-पोतों के लिए ‘एथक्का उपरी’ (केले के चिप्स) और ‘कालियाडक्का’ (चावल से तैयार एक खाद्य पदार्थ) बनाने की तैयारी कर रही हैं।

देवी की तरह कई गृहणियां भी ओणम की तैयारियों में जुटी हैं। हालांकि सरकार और कई संगठनों ने ओणम के आधिकारिक समारोह रद्द कर दिए हैं।केरल पर्यटन का एक सप्ताह चलने वाला वार्षिक ओणम का जश्न मंगलवार को शुरू हो गया। इस दौरान राज्य के शास्त्रीय एवं लोक नृत्य, आधुनिक कला और राज्य की विभिन्न परम्पराओं का प्रदर्शन किया जाएगा।

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अधिकारियों के अनुसार इस उत्सव में भाग लेने के लिए विभिन्न शैलियों के 5,000 कलाकार आएंगे। राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम में 29 स्थानों पर इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। यह समारोह 16 सितम्बर को सम्पन्न होगा।

ओणम को मनाने के पीछे मान्यता है कि केरल में महाबली नाम का एक असुर राजा था। उसके आदर सत्कार में ही ओणम त्यौहार मनाया जाता है। ओणम पर्व का खेती और किसानों से गहरा संबंध है। किसान अपने फसलों की सुरक्षा और अच्छी उपज के लिए श्रावण देवता और पुष्पदेवी की आराधना करते हैं। फसल पकने की खुशी लोगों के मन में एक नई उम्मीद और विश्वास जगाती है।

इस त्यौहार के अवसर पर केरल में नौका रेस (अराणमुला नौका दौड़, सर्प नौका) का भी आयोजन किया जाता है जिसमें कई लोग भाग लेते हैं और देश विदेश से पर्यटक भी इसे देखने आते हैं। इस दौरान केरल की संस्कृति और परंपरा की एक अनोखी झलक देखने को मिलती है।