प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने आज यानी रविवार को देश को नया संसद भवन समर्पित कर दिया है। इसके साथ ही नए संसद भवन की कई तस्वीरें भी सामने आ चुकी हैं। इन तस्वीरों को देखने के बाद हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया है। न्यू इंडिया की झलक दिखाती इन तस्वीरों को देख लोग खुशी और उल्लास से फूले नहीं समा रहे हैं। इस बीच एक चीज जिस पर हर किसी की नजर टिकी रह गई, वो है नए संसद भवन की खूबसूरत कालीन। संसद भवन में 35,000 वर्ग फुट क्षेत्र को कवर करती ये कालीन अपने अंदर इतिहास को समेटे हुए है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस कालीन को बनने में कितना समय लगा, कितने लोगों ने मिलकर इसे बनाया, साथ ही जानेंगे इसकी कीमत के बारे में।

बता दें कि संसद भवन की कालीन 100 साल से भी अधिक पुरानी भारतीय कंपनी ‘ओबीटी कार्पेट’ ने बनाई है। उत्तर प्रदेश के भदोही और मिर्जापुर के 900 से अधिक कारीगरों ने पूरे 10 लाख घंटे तक हाथ से बुनाई कर इसे तैयार किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सेंट्रल विस्ट में 11×8 साइज की लगभग 301 पीस रंग बिरंगी और मखमली कालीन को लगाया गया है। इसकी अनुमानित कीमत करोड़ों में है।

कालीन बनाने वाली कंपनी ‘ओबीटी कार्पेट’ के अध्यक्ष रुद्र चटर्जी ने indianexpress.com संग हुई खास बातचीत के दौरान बताया, ‘बुनकरों को 17,500 वर्ग फुट में फैले सदन कक्षों के लिए कालीन तैयार करने थे। डिजाइन टीम के लिए ये काफी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि उन्हें पहले कालीन को अलग-अलग टुकड़ों में बनाना था और बाद में इन टुकड़ों को एक साथ जोड़ा जाना था। 900 से अधिक बुनकरों ने लोकसभा के लिए 158 और राज्यसभा के लिए 156 कालीन बनाए। बाद में इन्हें प्रत्येक सदन की वास्तुकला के अनुरूप अर्ध-वृत्त के रूप में एक साथ सिल दिया गया।’

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस अद्भुत कालीन को बनाने के लिए सेंट्रल विस्टा की एक टीम ने कई डिजाइन तैयार किए थे और फिर उन डिजाइन्स को कालीन में उकेरने के लिए कंपनी को सौंप दिया था।

रुद्र चटर्जी के मुताबिक, कालीन को बनाने के लिए हर रोज 900 कारीगर पूरे आठ घंटे काम किया करते थे। वैश्विक महामारी के बीच 2020 में यह काम शुरू हुआ था। सितंबर 2021 तक बुनाई शुरू हुई और मई 2022 तक ये समाप्त हो गई। इसके बाद नवंबर 2022 में इसे बिछाए जाने का काम शुरू हुआ। इस काम को पूरा करने में सात महीने का समय लगा था। राज्यसभा में बिछाई गई कालीन में मुख्य रूप से लाल रंग का इस्तेमाल किया गया है। वहीं, लोकसभा में हरे रंग की कालीन बिछाई गई है, जो मोर के पंखों से प्रेरित है।