Nathuram Godse Ka Jeevan Parichay (नाथूराम गोडसे का जीवन परिचय), Biography, Speech: मोहनदास करमचंद गांधी यानी महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को हत्या कर दी गई थी। गोली मारकर उनकी हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे को 15 नवंबर 1949 को फांसी दे दी गई थी। गोडसे को लेकर हमेशा ये विवाद और बहस होती रही है कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़ा था, उसकी सोच देशभक्ति से ज्यादा हिंदुत्व राष्ट्र की थी। इसी सोच ने गांधी की हत्या कर दी। यही कारण है कि गांधी की हत्या के बाद कुछ दिन के लिए आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, हालांकि बाद में इसे हटा लिया गया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक में रहकर भी अलग पार्टी बनाई थी
नाथूराम गोडसे एक ब्राह्मण परिवार में जन्मा था। उसने हाईस्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी। कई दावों के अनुसार, पढ़ाई छोड़ने के कुछ समय बाद वह आरएसएस से जुड़ गया। नाथूराम देश की आजादी के लिए लड़ना चाहता था। इसके लिए उसने ‘हिंदू राष्ट्रीय दल’ के नाम से अपनी पार्टी भी बना ली थी। गोडसे ने हिंदू राष्ट्र नाम से एक अखबार भी निकाला था।
गोडसे गांधी जी को देश विभाजन का कारण मानता था: नाथूराम गोडसे पहले गांधी जी का अनुयायी था। नागरिक अवज्ञा आंदोलन के दौरान नाथूराम गोडसे ने गांधी जी के साथ बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था। हालांकि बाद में वह गांधी जी के खिलाफ हो गया था। गांधी जी के खिलाफ होने के कारणों पर अलग अलग दावे किए जाते रहे हैं। कई किताबों में भी इसका उल्लेख किया गया। अलग अलग दावों के अनुसार, नाथूराम गोडसे को लगने लगा था कि गांधी जी हिंदुओं के खिलाफ हो गए हैं। नाथूराम गांधी जी को देश बंटवारे का जिम्मेदार मानने लगा था। जिसके बाद गांधी जी के प्रति उसके मन में गुस्सा पनपता चला गया। जो 30 जनवरी 1948 को फूट पड़ा। गांधी जी की हत्या में नाथूराम के अलावा उसके भाई गोपाल गोडसे को सह अभियुक्त बनाया गया था। हालांकि उसके भाई को केवल कैद की सजा सुनाई गई थी।
हत्या के पीछे थी गोडसे की राजनीतिक सोच: बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, नाथूराम के भाई गोपाल गोडसे ने ‘गांधी वध क्यों’ नाम से एक किताब भी लिखी थी। गोडने के भाई ने अपनी किताब में गांधी जी की हत्या और जेल में उनसे मिलने गए उनके बेटे देवदास गांधी की मुलाकात को लेकर दावे किए गए हैं। किताब में गोपाल गोडसे ने दावा किया है कि, हत्या के बाद गिरफ्तार किए गए गोडसे से गांधी जी के बेटे देवदास गांधी मिलने पहुंचे थे। गोडसे को संसद मार्ग पुलिस थाने में रखा गया था। मुलाकात के दौरान जब गांधी जी के बेटे ने गोडसे से ऐसा करने का कारण पूछा तो उसने कहा कि, ‘मैंने किसी दुश्मनी के चलते ऐसा नहीं किया। सिर्फ राजनीतिक वजहों के चलते ऐसा हुआ।