प्रशांत किशोर ने साल 2014 के आम चुनाव के लिए बीजेपी के लिए रणनीति बनाई थी। इन चुनावों में बीजेपी को एक तरफा जीत हासिल हुई थी। इसके बाद प्रशांत किशोर भी चर्चा में आए थे, लेकिन उनका बीजेपी के साथ आगे का सफर लंबा नहीं रहा। साल 2015 में वह नीतीश कुमार की पार्टी के लिए रणनीति बनाने के लिए बिहार चले गए थे। प्रशांत किशोर कई मौकों पर नरेंद्र मोदी के साथ अपने कनेक्शन पर खुलकर बात कर चुके हैं।
साल 2019 में ‘IIT Delhi’ में एक स्पेशल प्रोग्राम में वरिष्ठ पत्रकार बरखा दत्त ने प्रशांत किशोर से कई सवाल पूछे थे। बरखा दत्त ने पूछा था, ‘आप नरेंद्र मोदी के साथ उनके गांधी नगर वाले घर में रहते थे। उनके लिए कैंपेन किया था। बाद में कैंपेन छोड़ा और फिर दूसरी तरफ चले गए। ऐसा हर किसी के साथ तो नहीं होता है।’ इसके जवाब में प्रशांत किशोर हंसने लगते हैं।
प्रशांत किशोर कहते हैं, ‘हां, मुझे उनसे मिलने की अनुमति तो जरूर है। 2011 से पहले तो उनसे मेरा कोई कनेक्शन भी नहीं था। यहां तक वो जानते भी नहीं थे और गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए कोई भी युवा उनसे मिल सकता था। वो हर किसी की बात बेहद शांति से सुनते हैं। ये उनकी खासियत भी है। तब वे देश के प्रधानमंत्री नहीं थे। यहां तक कि उन सभी युवाओं का राजनीति से कुछ लेना-देना भी नहीं था।’
आ गया था सीएम ऑफिस से फोन: प्रशांत किशोर ने ‘द लल्लनटॉप’ से बात करते हुए अपने और प्रधानमंत्री मोदी की पहली मुलाकात का जिक्र किया था। प्रशांत ने बताया था कि वे उस दौरान यूएन में नौकरी करते थे। एक बार उन्होंने कुपोषण के ऊपर एक आर्टिकल लिखा था। इसमें गुजरात की तुलना अन्य राज्यों से की गई थी। इस आर्टिकल में उन्होंने गुजरात के कुपोषण के मामले में सबसे नीचे रखा था।
प्रशांत किशोर ने याद किया था कि इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद उन्हें गुजरात के सीएम ऑफिस से फोन आ गया था। नरेंद्र मोदी ने उन्हें मुलाकात के लिए बुलाया था। पीके चाहते थे कि वह नरेंद्र मोदी से सीधा मुलाकात कर सकें। इसलिए उन्होंने एक शर्त भी रख दी थी। जिसे मानने के बाद भी वह वापस भारत लौटे थे।