यह साल था 1996। अखिलेश यादव एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए ऑस्ट्रेलिया के सिडनी पहुंचे थे। वहां शुरुआती कुछ महीने वे एक होटल में रहे। फिर बाद में पीजी में शिफ्ट हो गए। इस दौरान वे लगातार अपने परिवार, खासकर चचेरे भाई बिल्लू (जिनका असमय निधन हो गया था) के संपर्क में रहे। साथ ही डिंपल से भी पत्र के जरिए बातचीत होती रही।
सिर्फ अखिलेश बता देते थे परिचय: सिडनी में पढ़ाई के दौरान अखिलेश ने अपनी पहचान छिपाकर रखी थी। न ही उन्होंने अपने दोस्तों से बताया था कि वह मुलायम सिंह यादव के बेटे हैं, जो तब देश के रक्षा मंत्री हुआ करते थे और ना ही अपने मकान मालिक से बताया था, जहां वे पेइंग गेस्ट के तौर पर रहते थे। वह अपना परिचय सिर्फ अखिलेश के तौर पर दिया करते थे।
एक-एक कौड़ी का हिसाब रखते थे: अखिलेश यादव की जीवनी ‘विंड्स ऑफ चेंज’ में वरिष्ठ पत्रकार सुनीता एरॉन लिखती हैं कि अखिलेश के पिता भले ही देश के रक्षा मंत्री थे और वे एक मजबूत बैकग्राउंड से ताल्लुक रखते थे, लेकिन सिडनी में वे एक-एक पैसे का हिसाब रखते थे। जहां अखिलेश के दूसरे दोस्तों का एक हफ्ते का खर्च 120 डॉलर था। वहीं, अखिलेश 90 डॉलर में ही अपना गुजारा कर लेते थे।
नहीं खऱीदा मोबाइल: उस वक्त तक भारत में भी मोबाइल फोन लॉन्च हो गया था। अखिलेश के कई दोस्तों ने भी मोबाइल खरीद लिया था, लेकिन उनके पास अपना फोन नहीं था। जब अखिलेश के एक दोस्त ने उनसे कहा कि उन्हें भी एक मोबाइल खरीदना चाहिए तो उन्होंने कहा था कि पहले भारत में इससे ढंग से लांच हो जाने दो। अखिलेश लैंडलाइन के जरिये ही बात किया करते थे।
अमर सिंह जाते थे मिलने: सिडनी में पढ़ाई के दौरान अखिलेश यादव एक बार भी घर नहीं आए। हालांकि तब मुलायम के दाहिने हाथ और समाजवादी पार्टी के महासचिव रहे अमर सिंह उनसे नियमित मिलने जाते थे और अखिलेश को डिनर पर ले जाते थे। ऐसा ही एक मौका तब आया जब अमर सिंह और अमिताभ बच्चन वहां गए थे।
एक फोटो से खुल गई थी पोल: ‘द लल्लनटॉप’ से बातचीत के दौरान अखिलेश ने बताया था कि अमर सिंह अंकल और अमिताभ से उनकी मुलाकात की तस्वीर वहां एक लोकल अखबार में छप गई। उनके मकान मालिक ने भी अखबार में वो तस्वीर देखी। इस तरह अखबार के जरिये उनकी पहचान उजागर हो गई थी।
बेचना चाहते थे लिट्टी-चोखा: आपको बता दें कि सिडनी में पढ़ाई के दौरान अखिलेश यादव ने तय कर लिया था कि वह लिट्टी-चोखा बेचेंगे। मैकडॉनल्ड जैसे रेस्टोरेंट्स की तरह दुनिया भर में लिट्टी चोखा की चेन खोलेंगे। उन्होंने अपने दोस्तों से भी यह बात साझा की थी। हालांकि भारत लौटने के बाद पिता मुलायम के कहने पर वे राजनीति में आ गए।