उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए सभी राजनीतिक दलों ने तैयारी शुरू कर दी है। समाजवादी पार्टी की तरफ से अखिलेश यादव प्रचार कर रहे हैं तो वहीं, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के लिए चाचा शिवपाल सिंह यादव चुनाव मैदान में उतरे हैं। साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले शिवपाल और अखिलेश के बीच नाराजगी खुलकर सामने आई थी। यही वजह थी कि शिवपाल ने अपनी अलग पार्टी बना ली थी।

सियासी गलियारों में चर्चा है कि इस बार मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव गुन्नौर से चुनाव लड़ सकते हैं। ‘द लल्लटॉप’ से बात करते हुए शिवपाल ने इस पर सफाई देते हुए कहा, ‘गुन्नौर से नेता जी भी चुनाव लड़ चुके हैं। 2003 में सीएम बनने के बाद जब वो वहां से चुनाव लड़े थे तो इतने भारी मतों से जीते थे कि उनकी बराबरी करना भी संभव नहीं है। मैंने उस क्षेत्र में बहुत विकास भी किया है। वहां के ज्यादातर लोग खेती, किसानी करते हैं। नेताजी के सीएम बनने से पहले तो वहां पर स्कूल तक भी नहीं थे। सपा की सरकार बनने के बाद मैंने बहुत काम करवाया था।’

शिवपाल से पत्रकार सौरभ द्विवेदी सवाल करते हैं, ‘आप 2003 की सरकार की बात कर रहे हैं। ये बात कही जाती है कि बीजेपी के आशीर्वाद से मुलायम सिंह जी ने सरकार बनाई थी। कितना सच्चाई है इसमें?’ शिवपाल जवाब देते हैं, ‘इसमें कोई सच्चाई तो नहीं है। सबसे बड़ा दल तो समाजवादी पार्टी ही थी तो गवर्नर साहब ने मौका दिया था। बीजेपी के विधायक सरकार से बहुत नाराज थे और हमारे संपर्क में भी थे। दर्जनों विधायक हमारे संपर्क में थे।’

मांगने आते थे मदद: शिवपाल सिंह यादव आगे कहते हैं, ‘आप किसी से भी पता कर लेना। बीएसपी, कांग्रेस और बीजेपी का कोई विधायक हमारी बुराई नहीं कर सकता। क्योंकि लोकतंत्र में शपथ लेने के बाद नेता किसी दल का नहीं रह जाता। मैंने मंत्री होते हुए भी ऐसा ही काम किया था। चाहे किसी दल का विधायक हो या आम जनता हो, मैंने किसी को मना नहीं किया। अगर उसका काम जायज है तो जरूर करना भी चाहिए। इसमें आपत्ति क्या है? मुझसे जैसे हो पाया मैंने सबकी मदद की।’

बता दें, साल 2003 में मुलायम सिंह यादव ने राज्यपाल के सामने सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया था। तब तक उनके पक्ष में पर्याप्त विधायक नहीं थे। इस बीच 27 अगस्त 2003 को बसपा के 13 विधायकों ने राज्यपाल से मुलाकात कर उन्हें एक पत्र सौंपा था। इसमें कहा गया था कि वह मुलायम सिंह यादव का मुख्यमंत्री पद हेतु समर्थन करते हैं। बीएसपी ने इसका काफी विरोध भी किया था, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला था और मुलायम सीएम बन गए थे।