समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने राम मनोहर लोहिया के आंदोलन के साथ जुड़कर पहला कदम राजनीति में रखा था। मुलायम के साथी उन्हें स्कूल में ही ‘नेताजी’ कहकर बुलाने लगे थे। एक बार उनके स्कूल के टीचर उदय प्रताप सिंह को इसे सुनकर काफी अजीब लगा तो उन्होंने स्कूल के बच्चों से पूछा कि वह ऐसा क्यों करते हैं तो उन्होंने बताया कि मुलायम स्कूल के दिनों से ही राम मनोहर लोहिया के आंदोलन से जुड़ गए हैं।

उदय प्रताप सिंह ने उनसे जुड़ा एक और किस्सा साझा किया है। जब उन्होंने मुलायम को कुश्ती का मुकाबला छोड़ पढ़ाई में लगने की सलाह दी थी क्योंकि उनके पहले ही बहुत कम नंबर आए थे। उदय प्रताप सिंह ने बताया था, ‘मुलायम सिंह जी के नंबर छह महीने में होने वाली परीक्षा में कम आए। इधर इनका चयन कुश्ती में दो जगह हो गया। पहले ये जिले स्तर पर लाइट वेट चैंपियन हो गए और इनका चयन यूपी की तरफ से लड़ने के लिए असम में भी हो गया।’

टीचर की सलाह मानकर छोड़ दिया कुश्ती का मुकाबला: उदय प्रताप सिंह ने आगे बताया, ‘जब मुलायम बिल्कुल जाने के लिए तैयार हो गए तो मैंने इन्हें कहा कि दो महीने रह गए इंटरमीडिएट इम्तिहान के। अगर आप कुश्ती लड़ने गए तो अखबार में चश्मा लगाकर भी आपका रोल नंबर नहीं मिलेगा। इसलिए बेहतर ये है कि कुश्ती छोड़ो और ध्यान से पढ़ो। इन्होंने कहा कि मैं कभी फेल नहीं होउंगा। इसके बाद मैंने इनसे कहा कि मुझे कैसे यकीन होगा कि तुम्हारी बात सच है?’

उन्होंने आगे कहा, ‘मुलायम ने फिर मुझसे कहा कि अच्छा ठीक है आपको यकीन नहीं होता तो मैं आपको सारे सवाल याद करके सुनाऊंगा। बाद में इन्होंने सवाल लिखकर भी दिखा दिए और मुंहजुबानी भी सुना दिए। मैंने कहा कि आपका मस्तिष्क बहुत तेज है। आप जो भी याद करना चाहते हैं आप याद कर लेते हैं। ईश्वर की ऐसा कृपा रही कि मुलायम उसमें पास हुए और आगे जीवन में फिर कभी फेल नहीं हुए।’ जब उदय प्रताप सिंह ये किस्सा सुना रहे थे तो उनके साथ मुलायम सिंह यादव भी मंच पर मौजूद थे।