दुनिया के टॉप-10 उद्योगपतियों में शुमार मुकेश अंबानी अपने महंगे शौकों को लेकर काफी सुर्खियों में रहते हैं। अरबों के मालिक मुकेश अंबानी ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की है। धीरूभाई अंबानी के बड़े बेटे मुकेश पढ़ाई-लिखाई के मामले में शुरू से ही तेज थे। उन्हें पढ़ना काफी अच्छा लगता था। कभी-कभी तो वह पढ़ाई करने में इतने लीन हो जाते थे कि उन्हें रात के 2 भी बज जाते थे।
मुकेश अंबानी की शुरुआत से ही विज्ञान में काफी दिलचस्पी रही है। आज भी मुकेश अंबानी विज्ञान और टेक्नोलॉजी से जुड़ी किताबें ऑनलाइन खरीदते हैं। हालांकि, विज्ञान और टेक्नोलॉजी में उनकी रूचि ऐसे ही नहीं जागी, बल्कि इसके पीछे भी एक दिलचस्प किस्सा है। पैसे कमाना नहीं बल्कि शुरू से ही मुकेश अंबानी की जिंदगी का यह था मकसद
-फिल्म को देख किया था केमिकल इंजीनियरिंग करने का फैसला: मुकेश अंबानी ने अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा फैसला एक फिल्म को देखकर किया था। दरअसल, एक इंटरव्यू में मुकेश अंबानी ने बताया था कि ‘दि ग्रेजुएट’ फिल्म देखकर उनके मन में केमिकल इंजीनियरिंग करने की इच्छा जागी थी।
‘दि ग्रेजुएट’ फिल्म में पॉलीमर्स और प्लास्टिक को लेकर बातें हुई थीं। इससे मुकेश अंबानी काफी प्रभावित हुए थे। केमिकल इंजीनियरिंग के लिए उन्होंने देश क कई बड़ी यूनिवर्सिटी में आवेदन किया। आईआईटी बॉम्बे में उनका सिलेक्शन भी हो गया था। हालांकि, उन्होंने आईआईटी छोड़कर टॉप केमिकल इंजीनियरिंग इंस्टिट्यूट UDCT में एडमिशन लिया।
केमिकल इंजीनियरिंग करने के बाद मुकेश अंबानी ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी समेत दुनिया के कई बड़े बिजनेस स्कूल में अप्लाई किया था। कई यूनिवर्सिटी में उनका सिलेक्शन भी हो गया था लेकिन उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया।
एक इंटरव्यू के दौरान मुकेश अंबानी ने बताया था कि स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में उनकी फैकल्टी बेहद ही बेहतरीन थी। उस समय नोबेल पुरस्कार विजेता बिल शार्प उनके फाइनैन्शियल इकॉनमिक्स के प्रोफेसर हुआ करते थे, जिनसे उन्हें काफी सीखने को मिला।
-जियो से लाए डिजिटल क्रांति: मुकेश अंबानी ने अपनी मेहनत और लगन से ऐसे चीजों को मुमकिन कर दिया, जिसके बारे में किसी ने कभी सोचा नहीं होगा। मुकेश अंबानी ने अपनी जियो कंपनी के जरिए टेलीकॉम बिजनेस में क्रांति ला दी थी। उन्होंने केवल 6 महीनों में ही देश के 12 फीसदी हिस्से पर कब्जा कर लिया था।