देश के अहम हवाई अड्डों में से एक जयपुर एयरपोर्ट की कमान भी अडानी ग्रुप को सौंपी गई है। अडानी ग्रुप अगले 50 सालों तक इस एयरपोर्ट के संचालन और डेवलपमेंट का काम देखेगा। बीते 11 अक्टूबर को ग्रुप ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) से एयरपोर्ट का नियंत्रण हासिल कर लिया है। जयपुर एयरपोर्ट को अडानी ग्रुप को सौंपने से पहले सरकार ने इस पर करोड़ों रुपये खर्चे थे।

क्या-क्या सुविधाएं बढ़ाई गईं? पिछले 5 सालों के दौरान इस एयरपोर्ट के डेवलपमेंट पर सरकार ने करीब 400 करोड़ रुपये खर्चे। नए टैक्सी ट्रैक बनवाए गए थे। इससे फ्लाइट पार्किंग और एक समय में एक से अधिक उड़ानों की आवाजाही भी संभव हो गई है। इसके अलावा नया वेटिंग एरिया, प्रसाधन और पार्किंग की सुविधाएं भी मुहैया करवाई गई हैं। विदेश आने-जाने वाले यात्रियों के लिए छह इमिग्रेशन काउंटर, 14 चेकइन काउंटर भी स्थापित किए गए हैं।

आपको बता दें, एयरपोर्ट की बड़ी कमाई एरोनॉटिकल टैक्स से होती है। इसे विमानन कंपनियों को दी जानी वाली सुविधाओं के नाम पर लिया जाता है, जिसे कंपनियां सफर करने वाले यात्रियों से चार्ज करती हैं। इसके अलावा कॉमर्शियल एक्टिविटीज़ से भी एयरपोर्ट नियंत्रित करने वाली कंपनी को सीधी कमाई होती है। इसमें एयरपोर्ट पर खुलने वाले शोरूम और दुकान का किराया सबसे अहम होता है।

कब, कितने पैसे किए खर्च? राजस्थान पत्रिका की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2015-17 के बीच रन-वे निर्माण, ई-कैटेगिरी लाइटिंग सिस्टम पर 139.1 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इसके बाद साल 2016 में कार्गो कॉम्प्लेक्स पर 21 करोड़ रुपए खर्च हुए। तीसरा, साल 2018-19 के बीच नाले का निर्माण और मरम्मत पर 8.84 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। वहीं, 2018-19 के बीच टर्मिनल 1 की मरम्मत, हैरिटेज लुक पर 67.20 करोड़ का खर्च किया गया था। सभी को मिला दें तो पिछले पांच साल में इस एयरपोर्ट को संवारने में कुल 398.07 करोड़ रुपए खर्च किये गए।

क्यों उठ रहे हैं सवाल? पिछले 5 सालों के दौरान इस एयरपोर्ट के विकास पर करीब 398 करोड़ रुपये खर्चने के बाद अब इसे अडानी ग्रुप को सौंप दिया गया। इसी पर सवाल खड़े हो रहे हैं। विपक्षी दलों का आरोप है कि ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे सरकार ने अडानी समूह को फायदा पहुंचाने के लिए ही ये सुधार किये और इतने पैसे खर्चे। इन सभी सुविधाओं के बढ़ने के बाद अब अडानी ग्रुप को एयरपोर्ट की हालत सुधारने के लिए ज्यादा पैसे नहीं खर्चने होंगे।

अडानी ग्रुप के पास अब कुल 7 एयरपोर्ट: गौरतलब है कि अडानी समूह के पास पहले से ही 6 एयरपोर्ट की कमान थी और जयपुर सातवां एयरपोर्ट है, जिसकी कमान समूह को सौंपी गई है। जुलाई में ही देश के सबसे व्यस्त एयरपोर्ट मुंबई को भी अडानी ग्रुप को लीज पर दिया गया था।

बता दें, देश के अहम एयरपोर्ट का मैनेजमेंट प्राइवेट हाथों में देने के लिए केंद्र सरकार ने साल 2019 में बिडिंग मंगवाई थी। तब अडानी ग्रुप को अहमदाबाद, लखनऊ, जयपुर, मंगलुरू, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम के हवाईअड्डों का मैनेजमेंट और ऑपरेशन देने का फैसला हुआ था। अडानी ग्रुप ने GMR जैसे बड़े समूह को पछाड़ते हुए 50 सालों के लिए इन एयरपोर्ट का ठेका अपने नाम किया था।