Baba Ramdev: योग गुरु पतंजलि योगपीठ के संस्थापक बाबा रामदेव आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। पूरे विश्व में योग को प्रसिद्धि और लोकप्रियता दिलाने में रामदेव की बहुत बड़ी भूमिका रही है। हरियाणा के महिंदरगढ़ ज़िले के एक छोटे से गांव से संबंध रखने वाले बाबा रामदेव ने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल में की। फिर उन्होंने गुरुकुल में जाकर संस्कृत और योग की शिक्षा प्राप्त की।
बाबा रामदेव जब सरकारी स्कूल में पढ़ते थे, उनका बायां हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था। इसका ज़िक्र बाबा रामदेव कर चुके हैं। आइए जानते हैं क्या है पूरा किस्सा –
रामदेव उस वक़्त पौने आठ साल के थे। वो पास के गांव से पढ़कर अपने दोस्तों के साथ वापस घर आ रहे थे। अभी वो रास्ते में ही थे कि अचानक उन्हें कुछ हुआ और वो ज़मीन पर गिर गए। उन्हें छटपटाता देखकर उनके दोस्त डर गए और जाकर उनके घरवालों को ख़बर दी।
घरवाले रामदेव को पास के ही सरकारी अस्पताल ले गए जहां डॉक्टर ने ये बताया कि रामदेव के शरीर का बायां हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया है। वो भविष्य में कभी अपने शरीर के बाएं हिस्से का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।
लेकिन रामदेव भी कहां हार मानने वाले थे। भले ही इस पक्षाघात ने उन्हें खेल के मैदान और दोस्तों से दूर कर दिया, लेकिन उन्होंने किताबों को अपना नया दोस्त बना लिया। एक बार उन्हें योग की कोई किताब मिली जिसमें ये लिखा था कि योग से शरीर और आत्मा दोनों की वश में किया जा सकता है। फिर क्या था, रामदेव का योग के प्रति आकर्षण बढ़ता गया।
उन्होंने योग को अपने जीवन में शामिल कर लिया, और हैरानी की बात ये थी कि उनका लकवाग्रस्त बायां हिस्सा भी धीरे – धीरे ठीक होना शुरू हो गया।
आज बाबा रामदेव के शरीर का बायां हिस्सा बिल्कुल स्वस्थ है, बस उन्हें बाई आंख से देखने में परेशानी होती है। बता दें कि पक्षाघात का सबसे ज्यादा जोर उनकी बाई आंख पर ही पड़ा था, जिस कारण उन्हें दिखना लगभग बन्द हो गया।
जिस योग को बाबा रामदेव ने बचपन में हुई एक घटना के कारण अपनाया, आज वहीं उन्हें ख्याति दिला रहा है। वो भारत और विदेशों में योग के जरिए लोगों को कई बीमारियों से निजात दिला रहे हैं।