बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव जमानत पर बाहर आ गए हैं। लालू के पटना पहुंचने के बाद राजनीतिक हलचल एक बार फिर तेज हो गई है। साल 1990 में लालू पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। उन्होंने सिर्फ 29 साल की उम्र में लोकसभा चुनाव लड़ा। न सिर्फ चुनाव लड़ा बल्कि इसमें एक तरफा जीत भी हासिल की। लालू जब चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने पहुंचे तो उनके हाथों में हथकड़ियां थीं।
लालू प्रसाद यादव ने अपनी आत्मकथा ‘गोपालगंज से रायसीना: मेरी राजनीतिक यात्रा’ में इस वाकये का जिक्र किया है। लालू ने बताया, ‘मैं कह सकता हूं कि मेरे लिए जेल जाना आशीर्वाद साबित हुआ। मैं अपनी नामांकन पत्र हथकड़ी पहने हुए जमा कराने पहुंचा था। हजारों लोग- बूढ़े, पुरुष और महिलाएं- मेरी एक झलक पाने के लिए जमा थे। तब मैंने वहां मतदाताओं से बहुत सहानुभूति हासिल की। इसका सीधा असर चुनाव परिणामों पर भी नजर आया।’
29 साल की उम्र में सांसद बने लालू यादव: लालू यादव ने बताया, ‘जब चुनाव का रिजल्ट आया तो मैंने छपरा से 3.75 लाख से अधिक वोटों के विशाल अंतर से जीत हासिल की थी। कांग्रेस उम्मीदवार राम शेखर सिंह को सिर्फ 85 हजार वोट ही मिले थे। सभी जातियों और समुदायों के लोगों ने मुझे समर्थन दिया था। मैं सिर्फ 29 साल का था और एक गोल-मटोल छात्र जैसा लग रहा था। मैं तब संसद में सबसे कम उम्र का सांसद था, और छोटा-मोटा राष्ट्रीय नायक भी बन गया था।’
रविशंकर और सुशील मोदी को पड़ी जेपी से डांट: लालू यादव ने बताया कि जेपी के 11 सदस्यीय मार्गदर्शक कमेटी बनाई थी। उसमें लालू प्रसाद यादव को समन्वयक की जिम्मेदारी दी गई थी। जेपी ने अपने निजी सचिव को लालू और मीडिया को इस बारे में बताने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने पहले ही जानकारी लीक कर दी। इसके बाद लालू के नाम को रविशंकर और सुशील मोदी ने हटा दिया। लालू लिखते हैं, ‘मैंने जेपी को जब ये बात बताई तो वह रविशंकर और सुशील मोदी से काफी नाराज हो गए और जब उन्हें डांट पड़ी तो दोनों चुपचाप निकल गए। इस षड्यंत्र को रचने में और भी कई ABVP कार्यकर्ता थे।’

