भारतीय राजनीति के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर लालू प्रसाद यादव के राजनीति के किस्से बेहद मशहूर हैं। मजाकिया अंदाज वाले लालू यादव आज भी सबके बीच बेहद लोकप्रिय हैं। उन्होंने छात्र जीवन से ही अपनी राजनीति की शुरुआत कर दी थी। उन दिनों जेपी के आंदोलन से प्रभावित लालू यादव को जेल भी जाना पड़ा। जेल जाने को लेकर लालू यादव कहा करते हैं कि जेल उनके लिए गुरुद्वारे के समान है। वो कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने हक के लिए जेल नहीं गया उसका जीवन सार्थक नहीं हो सकता है। जेल से ही जुड़ा एक किस्सा लालू यादव के साथी रहे सुशील मोदी ने सुनाया था।

जेल से बचने के लिए लालू यादव से गायब करवा दी अस्पताल की दवाई- लालू यादव जब जेपी आंदोलन आंदोलन के दौरान जेल में गए तब उनके साथ उनके साथी सुशील मोदी भी थे। जेल से बचने के लिए सबलोगों ने बीमारी का बहाना बनाया और पटना के पीएमसीएच अस्पताल में आ गए। यहां से फिर दोबारा जल्दी जेल न जाना पड़े इसके लिए लालू यादव ने अस्पताल से दवाई ही गायब करवा दी थी।

ज़ी टीवी के पुराने शो, ‘जीना इसी का नाम है’ में लालू यादव के समक्ष सुशील मोदी ने बताया था, ‘हम लोग जेल में थे तब किसी को भी कोई बीमारी नहीं थी लेकिन सबने बहाना किया कि हमें अल्सर हो गया है और पीएमसीएच के कैदी वार्ड में आ गए। अल्सर के लिए बेरियम मील एक्सरे आवश्यक था तो लालू यादव ने स्टोर को मैनेज किया और बेरियम मील का पाउडर गायब करवा दिया ताकि लंबे समय तक हमें अस्पताल में रहने को मिले।’

 

लालू यादव की मंजूरी के बाद मनमोहन सिंह बने थे प्रधानमंत्री- लालू यादव एक वक्त में राजनीति में बहुत प्रभाव रखते थे। उन्होंने अपनी आत्मकथा, ‘गोपालगंज से रायसीना: मेरी राजनीतिक यात्रा ‘ में लिखा है कि उनकी सलाह पर ही मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया गया था। उन्होंने लिखा है कि 2004 में उनकी मंजूरी के बाद सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया।

 

वो अपनी आत्मकथा में लिखते हैं, ‘सबसे पहले सोनिया जी ने ही मुझसे बात की। उन्होंने जोर देकर कहा कि मैं डॉक्टर सिंह को प्रधानमंत्री के रूप में स्वीकार कर लूं। मैंने इंकार कर दिया। इसके बाद वो मनमोहन सिंह के साथ मेरे आवास पर आईं और मुझसे कारण जानना चाहा। मैं दुविधा में था। एक ओर तो मैं उन्हें नई प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहता था, दूसरी तरफ उनका आग्रह ठुकरा नहीं सकता था, जो कष्ट उठाकर मनमोहन सिंह के साथ मेरे घर तक आईं थीं। आखिरकार मैं नरम पड़ा और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बन गए।’