बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को लेकर कई किस्से मशहूर हैं। चारा घोटाले में जमानत पाने के बाद लालू प्रसाद यादव दिल्ली में स्वास्थ्य का लाभ ले रहे हैं। हाल ही में यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने लालू से मुलाकात की है। अखिलेश ने इसकी तस्वीर भी साझा की है।

लालू लंबे समय तक चारा घोटाले के मामले में जेल में बंद थे। 90 के दशक के इस घोटाले की गूंज सत्ता के गलियारों में लंबे समय तक रही थी। इससे ज्यादा चर्चा सीबीआई की उस टीम की हुई थी तो लालू को गिरफ्तार करने उनके पटना आवास पर पहुंची थी।

लालू प्रसाद यादव को गिरफ्तार करने के लिए पहुंची टीम को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। लालू के समर्थकों ने इस टीम को चारों तरफ से घेर लिया था। सीबीआई तत्कालीन संयुक्त निदेशक उपेंद्रनाथ विश्वास ने उस दौरान का ये किस्सा भी याद किया है। विश्वास ने अपनी किताब में भी इसका जिक्र किया है। खैर, चारा घोटाले की जांच सीबीआई कर रही थी। सीबीआई को अपनी तहकीकात के बाद लगा था की अब सीएम लालू को गिरफ्तार करना पड़ेगा। लेकिन ये सबकुछ इतना आसान नहीं था।

लालू के आवास पर जैसे ही सीबीआई की टीम पहुंची तो कई लोगों ने उन्हें घेर लिया। इसके लिए सीबीआई की टीम ने स्थानीय पुलिस से भी मदद मांगी। क्योंकि लालू उस दौरान मुख्यमंत्री थे तो कोई भी पुलिसकर्मी उन्हें गिरफ्तार करने के लिए तैयार नहीं था। कैबिनेट सेक्रेटरी को भी इस बारे में सूचना दी गई थी, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। हालांकि विश्वास भी लालू को गिरफ्तार करने पर अड़े हुए थे और वह किसी भी कीमत पर वापस खाली हाथ नहीं लौटना चाहते थे।

कोई सहयोग करने को तैयार नहीं था। सीबीआई की टीम के पास लालू के खिलाफ वारंट भी था, लेकिन बिहार पुलिस ने लालू को गिरफ्तार करने से साफ इनकार कर दिया था। जब उन्हें कहीं से मदद नहीं मिली तो उन्होंने सेना से इस बारे में संपर्क किया। सेना ने इससे साफ इनकार कर दिया।

सेना के अफसर ने उस समय कहा था कि सेना सिर्फ अधिकृत सिविल अथॉरिटीज के अनुरोध पर ही मदद मुहैया कराती है और इस मामले में आगे सेना मुख्यालय के निर्देश पर ही कार्रवाई होगी। इस मामले में सेना ने भी सीबीआई की मदद नहीं की थी। हालांकि बाद में कोर्ट के दखल के बाद लालू यादव ने खुद ही कोर्ट में सरेंडर कर दिया था।