बच्चे भी डायबिटीज के शिकार हो सकते हैं। बच्चों में डायबिटीज होने का कारण खराब खान-पान, निष्क्रिय जीवन शैली, मोटापा और फैमिली हिस्ट्री जिम्मेदार है। बच्चे में डायबिटीज तब होती है जब शरीर पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता या इंसुलिन का सही इस्तेमाल नहीं कर पाता।
टाइप 1 मधुमेह एक ऐसी स्थिति है जिसमें पैन्क्रियाज पूरी तरह से इंसुलिन का उत्पादन करना बंद कर देता है, यह हार्मोन ब्लड में ग्लूकोज का स्तर कंट्रोल करने के लिए जिम्मेदार है।
टाइप-1 डायबिटीज टाइप 2 डायबिटीज से पूरी तरह अलग है। टाइप-1 डायबिटीज में शरीर का इंसुलिन उत्पादन या तो कम हो जाता है या कोशिकाएं इंसुलिन के लिए प्रतिरोधी बन जाती हैं।
टाइप 1 डायबिटीज मुख्य रूप से बच्चों और किशोरों में पनपने वाली बीमारी है। यह टाइप 2 डायबिटीज की तुलना में बहुत अधिक गंभीर है। यदि टाइप 1 डायबिटीज का मरीज इंसुलिन लेना बंद कर देता है, तो उसकी हफ्ते भर में मौत हो सकती है। डायबिटीज से पीड़ित बच्चे को व्यस्कों की तुलना में ज्यादा केयर की जरूरत होती है। आइए जानते हैं कि बच्चों में डायबिटीज के कौन- कौन से लक्षण होते हैं।
- बच्चों में हर वक्त थकान रहना टाइप-1 डायबिटीज के हो सकते हैं संकेत।
- बार-बार पेशाब आना टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के लक्षणों में शामिल है।
- दोनों तरह की डायबिटीज में मरीज को प्यास ज्यादा लगती है। प्यास लगने का कारण ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ना है।
- ब्लड में ग्लूकोज का स्तर अधिक होने से भूख ज्यादा लगती है। भूख लगने का लक्षण टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों में एक जैसा है। इंसुलिन का उत्पादन कम होने की वजह से बॉडी में एनर्जी की कमी हो जाती है जिससे अक्सर भूख लगती है।
- टाइप-1 डायबिटीज में बच्चे का वजन तेजी से कम होने लगता है।
ICMR ने किया खुलासा बच्चों बढ़ रही है ये बीमारी: भारत को डायबिटीज की राजधानी माना जाता है। कोरोना महामारी ने इस बीमारी से पीड़ित लोगों को अधिक प्रभावित किया है। इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने हाल ही में पहली बार टाइप-1 डायबिटीज के लिए दिशा-निर्देश जारी किए। आईसीएमआर ने दिशा-निर्देशों में कहा कि दुनिया में दस लाख से अधिक बच्चों और किशोरों को टाइप-1 डायबिटीज है। आईसीएमआर की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले तीन दशकों में देश में मधुमेह से पीड़ित लोगों की संख्या में 150 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।