इस साल भारत आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है। आजादी के इस अमृत महोत्सव में जहां पूरा देश इसके जश्न के लिए तैयारियों में जुटा हुआ है। 75 वीं वर्षगांठ के मौके पर हर घर तिरंगा अभियान से लेकर सोशल मीडिया पर भी आजादी का उत्सव मनाया जा रहा है। लेकिन देश का एक राज्य ऐसा भी है जहां 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाया जाता है। दरअसल आजाद भारत का गोवा ऐसा राज्य है जहां स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाया जाता है। आइए जानते हैं आखिर क्यों गोवा में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाता है।
इसलिए नहीं मनाया जाता गोवा में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस (Goa is not celebrated Independence day on 15 August )
15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेजों की हुकूमत से पूर्ण रूप से आजाद हो गया था। लेकिन गोवा वह राज्य था जिस पर भारत की आजादी के बाद भी पुर्तगालियों का राज बरकरार था। इसलिए गोवा 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस नहीं मनाता है। बता दें कि गोवा पर लगभग पुर्तगालियों ने 400 साल राज किया था और भारत को आजादी मिलने के बाद गोवा 14 साल बाद यानी कि 1961 में गोवा पुर्तगालियों की हुकूमत से आजाद हुआ था। बता दें कि साल 1510 में अलफांसो-द-अल्बुकर्क के नेतृत्व में पुर्तगालियों ने गोवा पर हमला बोला था। जिसके बाद से ही गोवा पुर्तगालियों के कब्जें में आ गया था।
इसके अलावा भारत सरकार ने कई बार गोवा को पुर्तगालियों से मुक्त कराने का प्रयास भी किया लेकिन पुर्तगालियों ने गोवा छोड़ने से मना कर दिया। दरअसल गोवा को मसाला व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण जगह माना जाता था और मसालों के कारोबार से पुर्तगालियों को बहुत मुनाफा भी होता था। इसलिए उन्होंने गोवा पर अपना राज इतने लम्बें समय तक बरकरार रखा।
साल 1961 में गोवा को मिली आजादी (Goa Got Freedom from the Portuguese in 1961)
भारत ने आजाद होने के बाद गोवा की आजादी का प्रयास लगातार जारी रखा। लेकिन पुर्तगालियों ने हर बार देश छोड़ने से मना ही किया। इसके अलावा पुर्तगाली सरकार के साथ भारत की सरकार का हर प्रयास फेल होता रहा। लेकिन बाद में भारत सरकार ने गोवा को आजाद कराने के लिए हवाई हमले की तैयारी की और थल सेना को भी लड़ाई के लिए तैयार कर दिया। लेकिन इस लड़ाई का प्रयास सफल रहा और 19 दिसंबर 1961 में गोवा पुर्तगाली सरकार से आजाद हो गया। इसलिए गोवा अपना स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को नहीं बल्कि 19 दिसंबर को मनाता है।
हैदराबाद
ब्रिटिश शासन के दौरान हैदराबाद पर निजाम का शासन था। भारत और पाकिस्तान के समय हैदराबाद के निजाम ने दोनों देशों की संविधान सभा में भाग लेने से इनकार कर दिया था। लगातार विनय के बावजूद हैदराबाद ने भारत आने से इनकार कर दिया, जबकि वहां के लोग भारत के साथ जाना चाहते थे।
भारत को हैदराबाद पर पुलिस कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा। 13 सितंबर 1948 को भारत ने ऑपरेशन पोलो के नाम पर हैदराबाद पर आक्रमण किया और उस पर विजय प्राप्त की। इस प्रकार भारत के स्वतंत्र होने के एक वर्ष से भी अधिक समय तक हैदराबाद एक स्वतंत्र राज्य रहा।
भोपाल
भोपाल राज्य भी पिछले कुछ राज्यों में से एक था जिसने भारत के साथ विलय के साधन पर हस्ताक्षर किए थे। भोपाल के नवाब हमीदुल्लाह खान आजादी के बाद पाकिस्तान चले गए। हमीदुल्ला खान की मुहम्मद अली जिन्ना से निकटता और चैंबर ऑफ प्रिंसेस में उनके प्रभाव के कारण, 1 मई, 1949 को भोपाल भारत का हिस्सा बन गया।
सिक्किम
सिक्किम पर चोग्याल वंश का शासन था। सिक्किम भारत का संरक्षित राज्य हुआ करता था। मतलब भारत सिक्किम की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेता था। लेकिन 1975 में वहां की राजनीतिक स्थिति बिगड़ गई। राजा ने मनमाने ढंग से शासन करना शुरू कर दिया। इसके जवाब में वहां के प्रधानमंत्री के आह्वान पर भारतीय सेना ने अप्रैल 1975 में राजा की सेना के जवानों को बंधक बना लिया।
इसके बाद एक जनमत संग्रह हुआ, जिसमें अधिकांश लोगों ने राजशाही को खत्म करने और भारत के साथ एकजुट होने के लिए मतदान किया। सिक्किम 16 मई 1975 को भारत का हिस्सा बना।
