डायबिटीज खराब डाइट और बिगड़ने लाइफस्टाइल की वजह से पनपने वाली क्रॉनिक बीमारी है। डायबिटीज एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है जिसमें अपने ही शरीर की कुछ कोशिकाएं दूसरी कोशिकाओं पर दुश्मन की तरह हमला करती हैं और उन्हें नष्ट कर देती हैं। इस बीमारी के मरीजों की संख्या देश और दुनियां में लगतार बढ़ रही है। डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए दवाईयों का सेवन करना, बॉडी को एक्टिव रखना और खान-पान का ध्यान रखना जरूरी है।
डायबिटीज की बीमारी को जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता इसे सिर्फ कंट्रोल किया जा सकता है। डायबिटीज के मरीजों में शुगर बढ़ने पर इस बीमारी के संकेत बॉडी में दिखने लगते हैं। अगर लक्षणों की तुरंत पहचान कर ली जाए तो इस बीमारी के जोखिम से बचा जा सकता है। आइए जानते हैं कि ब्लड शुगर बढ़ने से बॉडी में कौन से खास 5 बदलाव होते हैं।
पैरों पर होने वाले घाव के निशान:
आमतौर पर शुगर का स्तर ज्यादा होने पर पैरों पर सबसे पहले उसका असर दिखता है। पैरों में दर्द और घाव के निशान होना शुगर बढ़ने के संकेत हो सकते हैं। मरीज़ को डायबिटिक न्यूरोपैथी की परेशानी हो सकती है। डायबिटीज़ में तंत्रिकाओं को नुक़सान पहुंचने की वजह से हाथों-पैरों में झुनझुनी, चुभन और सुन्न होने जैसी तकलीफ़ें होने लगती हैं जिसे डायबिटिक न्यूरोपैथी कहते हैं। डायबिटिक न्यूरोपैथी ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने पर होने वाली बीमारियों में से एक है।
डायबिटिक रेटिनोपैथी होना:
डायबिटिक रेटिनोपैथी से मतलब है कि डायबिटीज बढ़ने की वजह से आंखों के रेटिनी की ब्लड वैसल्स को नुकसान पहुंचना है। इस परेशानी की वजह से आंखों के निचे काले निशान आने लगते हैं। जिन लोगों को डायबिटीज है वो समय-समय पर डॉक्टर को दिखाएं और अपनी आंखों की जांच कराएं।
कानों पर असर होना:
जिन लोगों का ब्लड में शुगर का स्तर हाई रहता है उसका असर कानों पर भी पड़ता है। ब्लड वैसल्स को होने वाले नुकसान की वजह से कानों से भी मरीज को कम सुनाई देता है।
दिमाग पर भी पड़ता असर:
जिन लोगों के ब्लड में शुगर का स्तर हाई रहता है उनके दिमाग पर भी शुगर बढ़ने का असर पड़ता है। डायबिटीज बढ़ने पर मरीज डिप्रेशन का शिकार हो जाता है उसकी दिलचस्पी किसी भी काम में नहीं रहती। डायबिटीज का असर मानसिक स्वास्थ्य को पूरी तरह प्रभावित करता है।