घुटनों का दर्द अमूमन बड़ी उम्र के लोगों को होता है। बदलती जीवनशैली के कारण अब कम उम्र में भी इसकी शिकायत होने लगी है। चलने, दौड़ने, उठने-बैठने और वजन थामने में घुटनों की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। अब यदि कम उम्र में यह समस्या खड़ी होती है तो रोजमर्रा की जिंदगी पर इसका काफी विपरीत असर पड़ सकता है। चलने-फिरने में दिक्कत के साथ रोज के काम प्रभावित हो सकते हैं। इसलिए आगे बताए गए लक्षण दिख रहे हैं, तो सतर्क हो जाइए। अपने खान-पान और आदतों को बदलिए।

लक्षण

घुटने की हड्टी टूटने या अपनी जगह से हटने पर कई तरह की समस्या होती है। गाउट भी घुटनों के दर्द का बड़ा कारण बनता है। यह बिल्कुल आर्थराइटिस की तरह होता है। इसका मुख्य कारण शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ना होता है। टेंडिनाइटिस ऐसा दर्द होता है जो घुटनों के सामने वाले हिस्से में होता है। इससे पीड़ित व्यक्ति को उठने-बैठने या सीढ़ियां चढ़ने में काफी परेशानी होती है। इसी प्रकार घुटनों की संरचना में बदलाव आने या फिर उनकी स्थिति खराब होने से आस्टियोआर्थराइटिस की समस्या जन्म लेती है। इसमें दर्द के साथ जोड़ों में सूजन होती है। घुटनों के पीछे की तरफ तैलीय गुणवत्ता वाला तरल पदार्थ बनने पर बेकर्स सिस्ट की समस्या उभरती है।

घुटनों से जुड़े लचीले एवं सफेद रंग के टिश्यू (कार्टिलेज) जब फट या टूट जाते हैं, तो घुटनों में असहनीय दर्द होता है। इसे मेनिस्कस टियर कहते हैं। आर्थराइटिस, हड्डियों का कैंसर आदि भी घुटनों के दर्द के मुख्य कारण हैं।

कारण

कार्यालय या अन्य जगहों पर लंबे समय तक एक ही मुद्रा में बैठकर काम करने के कारण जोड़ों का दर्द उठ सकता है। आर्थराइटिस के कारण भी जोड़ों में सूजन पैदा हो जाती है। यूं तो यह बीमारी वृद्ध लोगों को अधिक होती है, लेकिन कई बार बच्चों एवं युवाओं में भी इसके लक्षण उभर आते हैं। इसका दर्द भी परेशानी खड़ी कर देता है। वहीं बर्साइटिस उन जोड़ों को ज्यादा प्रभावित करता है, जिनमें एक ही गतिविधि बार-बार दोहराई जाती है। युवाओं में जिम के कारण इसका दर्द उभर सकता है।

इनके अलावा मोटापा, पुरानी चोट, मांसपेशियों में खिंचाव, पानी की कमी, अत्यधिक शराब का सेवन, फास्ट फूड, गलत नाप के जूते पहनना, नींद की कमी आदि भी युवाओं में घुटनों या जोड़ों के दर्द का बड़ा कारण होते हैं।

बचाव

घुटनों के दर्द को बिल्कुल नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि घुटनों का दर्द शुरुआती चरण में है तो अपने उठने-बैठने के तरीके में बदलाव करें। जूते परेशान कर रहे हों तो उन्हें भी बदलें। खानपान बेहतर करके इससे छुटकारा पाया जा सकता है। यदि यह दर्द पुराना हो गया है और सामान्य जीवनशैली में बदलाव से नहीं जा रहा है, तो किसी अच्छे डाक्टर को जरूर दिखाएं। क्योंकि, आरंभ में इस दर्द को सामान्य इलाज से काबू किया जा सकता है, लेकिन जब यह असहनीय हो जाए तो सर्जरी तक करनी पड़ सकती है। इसमें क्षतिग्रस्त हड्डी एवं कार्टिलेज को सर्जरी से काटकर निकाल दिया जाता है। उसकी जगह कृत्रिम अंग लगाया जा सकता है।

कुछ घरेलू उपाय

कुछ घरेलू उपाय कर भी घुटनों के दर्द से बचा सकता है। इसके लिए सबसे पहले शरीर को भरपूर आराम देने की कोशिश करें। जिन कामों से घुटनों पर अधिक जोर पड़ता है, ऐसे कामों से बचें। बर्फ की सिकाई से भी जोड़ों की सूजन कम की जा सकती है। यदि सूजन नहीं है तो गर्म पानी या कपड़े से सिंकाई भी कारगर रहती है। कुछ व्यायाम और फिजियोथेरेपी भी दर्द से राहत देने में मदद कर सकते हैं। सरसों, जैतून या लौंग के तेल की मालिश, मेथी दाना, जीरा और काली मिर्च का सेवन भी जोड़ों के दर्द में लाभकारी होता है।

एक गिलास गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी डालकर सोने से पहले पी लें। इसका सेवन दिन में दो बार भी किया जा सकता है। घुटनों के दर्द से राहत मिलेगी। एक गिलास गर्म पानी में दो चम्मच सेब का सिरका डालकर पीएं। इससे घुटनों के दर्द से छुटकारा मिल जाता है। लेकिन ये चीजें भी अपनी शरीर की प्रकृति के हिसाब से लें। कुछ लोग दूध के साथ हल्दी पचा नहीं पाते हैं हैं। साथ ही संतुलित शारीरिक गतिविधि भी बहुत जरूरी है।
(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)