प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिनों अपनी कैबिनेट का विस्तार किया था और कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी मंत्री बनाया था। उन्हें नागरिक उड्डयन जैसा भारी-भरकम मंत्रालय दिया गया है। कैबिनेट विस्तार में कई दिग्गज नेताओं की छुट्टी भी कर दी गई थी, जिसमें शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक भी शामिल थे। हालांकि मंत्रालय छिनने के महीने भर बाद भी उन्होंने अपना सरकारी बंगला खाली नहीं किया है। बताया जा रहा है कि उन्होंने यह बंगला खाली करने से इनकार कर दिया है और फिलहाल इसे अपने पास ही रखने की अनुमति मांगी है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया चाहते हैं यही बंगला: लुटियंस दिल्ली के ’27, सफदरजंग रोड’ के जिस बंगले में रमेश पोखरियाल निशंक रहते हैं, उस बंगले पर ज्योतिरादित्य सिंधिया की भी निगाहे हैं। क्योंकि उनका इस बंगले से पुराना नाता रहा है। 1980 के दशक में जब ज्योतिरादित्य के पिता माधवराव सिंधिया राजीव गांधी की कैबिनेट में मंत्री बने थे तब उन्हें यही बंगला अलॉट हुआ था।

हुमायूं टोम्ब के नजदीक स्थित इस कॉर्नर वाले बंगले में माधवराव सिंधिया अपना ‘दरबार’ लगाया करते थे और लोगों से मिला करते थे। 30 सितंबर 2001 को विमान हादसे में निधन के बाद माधवराव सिंधिया को इसी बंगले से आख़िरी विदाई दी गई थी।

ज्योतिरादित्य को दिखाए गए थे 3 बंगले: साल 2019 तक ज्योतिरादित्य सिंधिया भी इसी बंगले में रहा करते थे। हालांकि चुनाव में हार के बाद उन्हें यह बंगला खाली करना पड़ा था। ‘इकॉनमिक टाइम्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल जब सिंधिया कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए और राज्यसभा के लिए चुने गए तब उन्हें कम से कम 3 बंगलों का विकल्प दिया गया था। लेकिन उन्हें इनमें से कोई बंगला पसंद नहीं आया और अपने निजी बंगले में ही रह रहे हैं।

सिंधिया के करीबियों का कहना है कि वह ’27, सफदरजंग रोड’ में ही शिफ्ट होना चाहते हैं क्योंकि इस बंगले से उनका पुराना नाता रहा है और भावना जुड़ी है। उधर, संपदा निदेशालय के एक अधिकारी ने ईटी को नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि उन्होंने पूर्व शिक्षा मंत्री निशंक को भी एक बंगला दिखाया, लेकिन उन्हें यह पसंद नहीं आया और उन्होंने पुराना बंगला ही अपने पास रखने की अनुमति मांगी है।

महीने भर में खाली करना होता है बंगला: संपदा निदेशालय के नियमों के मुताबिक 7 कमरों और तमाम दूसरी सुविधाओं से लैस टाइप-VIII बंगला सिर्फ मौजूदा मंत्रियों, राज्यसभा के सदस्यों और न्यायिक अधिकारियों को ही अलॉट किया जा सकता है। मंत्रालय से हटने के बाद संबंधित व्यक्ति को एक महीने के अंदर बंगला खाली करना होता है और उसे लोकसभा सांसदों को अलॉट होने वाला दूसरा बंगला। दिया जाता है।

चिराग को भी बंगला खाली करने का नोटिस: उधर, केंद्रीय आवासन और शहरी विकास मंत्रालय ने 12, जनपथ बंगले को भी खाली करने को कहा है। यह बंगला रामविलास पासवान को आवंटित था और उनका पिछले साल अक्टूबर में निधन हो गया था। पासवान करीब तीन दशक तक इस बंगले में रहे। फिलहाल उनके बेटे चिराग और परिवार के अन्य लोग इसी बंगले में रहते हैं। लोक जनशक्ति पार्टी का आधिकारिक पता भी यही है।