आपसे कोई है कि बताइए एक ऐसे कीट का नाम जिसके कान तो नहीं है लेकिन उसे आपकी सारी बातें सुनाई पड़ती है। यह सवाल सुनकर आप अचंभित भी होंगे और इसपर विचार भी करेंगे, क्योंकि यह सवाल ही अपने आप में बेहद दिलचस्प है। तो चलिए सवाल का जवाब वैज्ञानिक आधार पर बताते हैं।
दरअसल चींटी एक ऐसा जीव है जिसके कान नहीं होते, यह बिना कानों के भी सबकुछ स्पष्ट तरीके सुन और समझ लेती है, और शोध में दावा किया है कि चींटी अपनी पूरी जिंदगी नहीं सोती है। इस बात पर भी आपको हैरानी होगी। खैर अभी आगे और भी सिर चकराने वाले अद्भुत जवाब और फैक्ट्स हैं।
वैज्ञानिक आधार पर कहा जाता है कि दिन-रात लगातार मेहनत करने के बाद भी चींटी का दिमाग बिजली के समान तेज गति से काम करता है। किट पतंगों में चींटी का दिमाग सबसे तेज माना जाता है। ऐसा इसलिए है कि चींटी परिवार का झुंड बनाने के साथ-साथ खाने के लिए दाने जुटाने का कार्य करती है।
सबसे ज्यादा कोशिकाएं: चींटी आकार में भले ही छोटी हो लेकिन मस्तिष्क कोशिकाओं की बात करें तो इनमें ढाई लाख से आस-पास मस्तिष्क कोशिकाएं होती हैं। इसी वजह से चींटियाँ बिना सोये लगातार दिमाग चलाती रहती हैं। वैज्ञानिक आधार पर आंकड़ों की बात करें तो पूरी दुनिया में चींटियों की लगभग 10 हजार प्रजातियां पाई जाती हैं। वहीं आकार की बात करें तो एक चींटी 2 से 7 मिलीमीटर लंबी हो सकती है। इनमें कार्पेंटर चींटी को सबसे बड़ा माना गया है जिनकी लंबाई लगभग 2 सेंटीमीटर के आस-पास होती है।
इस समूह की हैं चींटियां: वैज्ञानिक आधार पर चींटी फ़ोरमिसिडाए कुल और हाइमेनोप्टेरा गण के अंतर्गत आती है। इसमें मधुमक्खी और वाशीभी भी शामिल हैं। एंटियल वाशिप के भीतर एक वंश से चींटियों का क्रमविकास हुआ और 2013 के एक अध्ययन से पता चला कि वे एपोइडिया की एक बहन समूह हैं।
दो आंख और ढेरों लेंस: चींटी की दो आंखें होती हैं जो उसके सिर के दोनों तरफ़ होती हैं। दरसल इन्हें यौगिक आँख कहना चाहिए क्योंकि इनमें नन्हें-नन्हे ढेरो लैंस होते हैं। इससे लाभ ये होता है कि चींटी हल्की से हल्की हरकत को भी देख लेती है।
लंबी उम्र और वजन से ज्यादा भार उठाने की क्षमता: चीटियों की आयु 4 से 7 साल तक होती है। रानी चींटी करीब 15 साल तक जीवित रहती है। रानी चींटी अपने जीवन में लगभग 70000 अंडे देती है। एक चींटी अपने वजन से ज्यादा भार उठा सकती है। एक अनुमान के मुताबिक जब कोई भी चींटी अपने वजन से 20 गुना ज्यादा भार उठा सकती हैं।
नहीं होते कान, फिर सुनाई पड़ता है: वैज्ञानिक आधार पर कहा जाता है कि चींटियों के कान नहीं होते हैं, इसलिए वो सुन नहीं सकती हैं। इसके बावजूद उन्हें सब समझ आता है, क्योंकि पैरों की धमक और उसमें पाए जाने वाले तांत्रिका तंत्र से आस-पास की हलचल उन्हें पता चल जाती है।
दरअसल चींटियों के घुटने और पैरों में कुछ खास प्रकार के सेंसर लगे होते हैं, जिनकी मदद से इन्हें अपने आस-पास की गतिविधियां पता चलती रहती हैं। कहा जाता है कि कुनबे की रानी चींटी की उम्र सबसे ज्यादा होती है, बाकी चींटियों की उम्र महज 40 से 50 दिनों की होती है। वहीं जब रानी चींटी की मृत्यु होती है तो पूरा कुनबा खत्म हो जाता है, एक कुनबे की आयु औसतन 15 वर्ष माना गया है।
