Airforce (IAF) Day 2019: भारतीय वायुसेना इस बार 87वां स्थापना दिवस मना रही है। विंग कमांडर अभिनंदन को तो पूरी दुनिया जानती है लेकिन उनके अलावा भी वायुसेना के ऐसे जाबांज हुए हैं जिनके नाम से पाकिस्तान थर-थर कांपता रहा। आज हम ऐसे ही जाबाजों से आपका परिचय करवा रहे हैं। बता दें कि पाकिस्तान से जब भी युद्ध हुआ तब हमेशा ही हमारी वायुसेना का एक जवान उसके कब्जे में आया लेकिन सभी ने दुश्मन देश में अपनी वीरता का परिचय दिया।
MIG 21 से F 16 गिराकर हीरो बने अभिनदंन
27 फरवरी, 2019 बालाकोट एयरस्ट्राइक में पहले पाकिस्तान ने अमेरिकी फाइटर जेट F 16 से भारत पर हमले की कोशिश की, लेकिन Mig 21 की उड़ान भर रहे अभिनंदन ने पाकिस्तान के लड़ाकू विमान F 16 को मार गिराया। इस एयरस्ट्राइक में अभिनंदन सिर्फ इसलिए हीरो नहीं बने कि उन्होंने भारत के पुराने फाइटर जेट मिग 21 से पाकिस्तान के आधुनिक अमेरिकी फाइटर जेट एफ 16 को मार गिराया था। वह तेज तर्रार पराक्रमी हीरो तब बने जब वह एयरस्ट्राइक करते हुए पाकिस्तानी जमीं पर जा गिरे और फिर भी हिंदुस्तानी होने का परिचय पूरी बहादुरी से दिया।
भारतीय वायुसेना के जवान मार्शल अर्जन सिंह
भारतीय वायु सेना (IAF) के सबसे वरिष्ठ और पांच स्टार रैंक वाले एकमात्र मार्शल थे। अर्जन सिंह ने भारतीय वायु सेना को दुनिया की सबसे शक्तिशाली वायु सेनाओं में से एक बनाने और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी वायु सेना बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। साल 1965 में पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम को अंजाम दिया था और पाकिस्तानी टैंकों ने जम्मू कश्मीर के अखनूर जिले पर धावा बोल दिया था। पाकिस्तानी हमले की खबर मिलते ही जब रक्षा मंत्रालय ने सभी सेना प्रमुखों को कहा कि कुछ देर की मीटिंग ने बुलाया तो अर्जन सिंह ने पूछा वह कितनी जल्दी पाकिस्तान के बढ़ते टैंकों को रोक सकते हैं। तब उन्होंने कहा था कि उन्हें सिर्फ 1 घंटे का समय चाहिए। बाद में सिंह अपनी वादे पर खरे उतरे और अखनूर की ओर बढ़ रहे पाकिस्तानी टैंक और सेना के खिलाफ पहला हवाई हमला 1 घंटे से भी कम समय में कर दिया, जिसके बाद पाकिस्तान को भारतीय सेना से मुहं की खानी पड़ी।
पाकिस्तान की जेल से भाग निकले थे ये तीन जवान
1971 के युद्ध में ऐसे ही कई सेना के जवान पाकिस्तान के कब्जे में आ गए थे। इन जवानों ने बहादुरी की एक ऐसी कहानी गढ़ी की दुनिया याद करेगी। वो जंग जब भारत के जाबांज पाकिस्तान की जेल को तोड़कर भाग निकले थे। क्योंकि उस दौर में पाकिस्तान हमारे जवानों को रिहा करने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहा था। इस युद्ध के दौरान लेफ्टिनेंट दिलीप परुल्कर ने कहा था, ‘हम दुश्मन के इलाके में अंदर तक वार करेंगे, एक गोली भी एक विमान को गिराने के लिए काफी है.. अगर मैं कभी पकड़ा गया तो मैं भाग जाऊंगा।’ इन शब्दों को परुल्कर ने 1968 में कहा था और 1971 में उनका साथ कुछ ऐसा ही हुआ। दिलीप परुल्कर 1971 की भारत-पाकिस्तान की जंग में गए और दुश्मन इलाके में ही जाकर गिरे। उन्हें और उनके साथ 11 अन्य पायलटों को जंग का कैदी बनाकर पाकिस्तान ने अपने कब्जे में ले लिया था। लेकिन अपने कहे शब्द याद थे और उन्होंने वही किया। दिलीप परुल्कर दो अन्य पायलट मलविंदर सिंह ग्रेवाल और हरीश सिन्हजी के साथ पाकिस्तान की जेल से भाग निकले थे।