Nimki: बारिश का मौसम है और इस मौसम में पेट से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ जाती हैं। इस मौसम में लोग आसानी से फूड प्वाइजनिंग, दस्त, उल्टी, मतली और अपच जैसी समस्याओं के शिकार हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में आप इस अचार को बना सकते हैं जो कि मेडिसिनल गुणों (Medicinal lemon Pickle) से भरपूर है। दरअसल, इसमें सोडियम है और नींबू का विटामिन सी और साइट्रिक एसिड है। इसके अलावा ये फर्मेंटेशन के प्रोसेस से बनता है जो कि गट बैक्टीरिया को बढ़ाने वाला है। इसके अलावा ये पेट के पीएच को बेहतर बनाने के साथ एसिड रिफ्लक्स की समस्या को कम करने में मददगार है। इसके अलावा पाचक एंजाइम्स को भी बढ़ावा देता है। तो इन टिप्स को फॉलो करें और बनाएं ये अचार।

नींबू की निमकी अचार कैसे बनाएं-Nimki nimbu achar recipe in hindi

सामग्री
नींबू
नमक
कांच की बरनी या ग्लास एयर टाइट कंटेनर जिसका ढक्कन प्लास्टिक का हो।

निमकी बनाने का तरीका

-अब आपको सबसे पहले नींबू को धोकर अच्छी तरह से कपड़े से पोंछ-पोंछकर सूखाना है।
-चाहे तो इसे पंखे में सूखा लें।
-अब आपको कद्दूस पर नींबू को हल्का-हल्का हर तरफ से घिसना है ऐसे कि इसका ऊपर का छिलका थोड़ा-थोड़ा निकल जाए।
-आप देखेंगे कि इसका छिलका हल्का-हल्का निकल जाने की वजह से इसका पीला रंग हल्का पड़ जाएगा और ये खुरदुरा सा नजर आएगा।
-तो इस तरह से आप हर नींबू का हल्का-हल्का कद्दूस कर लें।
-फिर आप नींबू को कांच की बरनी या प्लास्टिक के ढक्कन वाले ग्लास एयर टाइट कंटेनर में डालें।
-अब इसमें ढेर सारा नमक डालें।
-ढक्कन कसकर बंद करें और इसे रोज धूप दिखाएं। ये काम आपको लगभग 30 दिनों तक करना है।
-बारिश हो रही हो तो इसे 30 दिनों तक किसी गर्म कोने में रख दें जहां रोशनी न आ रही हो।
-आप देखेंगे कि नींबू का रंग बंदलता जाएगा और ये काला पड़ने लगेगा।
-साथ ही नमक पिघल जाएगा और जूस की तरह दिखेगा।

अब आप इसे निकालकर खाना शुरू कर सकते हैं क्योंकि आपका अचार तैयार है। ध्यान रखें कि आपको प्लास्टिक ढक्कन वाले ही कंटेनर का इस्तेमाल करना है क्यों अगर आपने लोहे का इस्तेमाल किया था तो नमक और नींबू के साथ रिएक्ट कर सकता है। इससे ये पूरा प्रोसेस खराब हो सकता है।

कब और कैसे खाते हैं निमकी?

निमकी को लोग खिचड़ी और तहरी के साथ खाते हैं। लेकिन जब आपको मतली होती है या फिर गैस की समस्या हो तो आप इसे पूरा खाकर एक गिलास गुनगुना पानी पी लें। इससे आपकी दिक्कत दूर हो जाएगी। दस्त में इसे लोग दलिया के साथ गीले भात के साथ खाते हैं। दरअसल, दस्त के दौरान पेट का गुड बैक्टीरिया निकल जाता है, ऐसे में ये अचार फिर से गुड बैक्टीरिया को बढ़ाता है और आपके गट हेल्थ को बढ़ावा देता है।