शायद ही कोई ऐसा होगा जिसने ओल्ड मॉन्क का नाम नहीं सुना होगा, लेकिन क्या आपको पता है कि गोल मटोल बोतल में old monk भारत की सबसी पुरानी रम है जो 50 से ज्यादा देशों में अपने नशीले जादू से लोगों को दीवाना बनाई हुई है। शराब की दुनिया में ओल्ड मॉन्क किसी पर्याय से कम नहीं है। अपने विशिष्ट वनिला स्वाद और स्मूदलेस के लिए मशहूर इस शानदार भारतीय डार्क रम ने दुनिया भर में लाखों लोगों का दिल जीत लिया है। इस प्रतिष्ठित ब्रांड की सफलता के पीछे एक रिटायर्ड ब्रिगेडियर कपिल मोहन का हाथ हैं, जिन्होंने ओल्ड मॉन्क को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति दिलाई है।
ओल्ड मॉन्क कैसे बना मशहूर ब्रांड
ब्रिगेडियर कपिल मोहन ने ना केवल ओल्ड मॉन्क को बनाया बल्कि मशहूर ब्रांड सोलन नंबर 1 और गोल्डन ईगल के पीछे भी उन्हीं का हाथ है। ओल्ड मॉन्क दुनिया में तीसरी सबसे ज्यादा बिकने वाली रम है। यह कई सालों तक सबसे बड़े भारतीय निर्मित विदेशी शराब (आईएमएफएल) ब्रांड की सूची में बनी रही है। कपिल मोहन मीकिन शराब कंपनी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक थे।
मशहूर उद्योगपति नरेंद्र नाथ मोहन के बेटे वेद रतन मोहन एक बार जब यूरोप की यात्रा पर गए तो उन्होंने शराब के इस कारोबार को खोलने के बारे में योजना बना ली। दिसंबर 1954 में उन्होंने यूरोप में धूम मचाने वाली रम बेनिदिक्तिन की तर्ज पर भारत में इस शराब कंपनी की बुनियाद रखी। इस रम की शिल्प कौशल से प्रेरित होकर उन्होंने ओल्ड मॉन्क बनाया। सात साल की मेहनत के बाद उन्होंने मसालों से इंफ्यूज्ड शानदार डार्क रम बनाने में सफलता प्राप्त की जो आज मेहनत की परंपरा और शिल्प कौशल के प्रति गहरी सराहना का प्रतीक है।
कपिल मोहन ने ओल्ड मॉन्क को कैसे पहुंचाया बुलंदियों पर?
वेद मोहन के अचनाक निधन के बाद उनके भाई कपिल मोहन ने इस कंपनी की बागडोर संभाली। कपिल मोहन ने ओल्ड मॉन्क को बुलंदियों के आसमान पर पहुंचा दिया। बिना एक भी प्रचार किए ओल्ड मॉन्क हर शराब पीने वालों की जुबान पर सबसे पहले आता है। कपिल मोहन इस बात को जानते थे कि अगर कोई एक बार ओल्ड मॉन्क को चख लेगा तो फिर कभी भी वह इससे कम में नहीं मानेगा। कपिल मोहन के नेतृत्व में ओल्ड मॉन्क भारत का गौरव बन गया। आज बाजार में उसकी हिस्सेदारी बहुत बड़ी है।
कपिल मोहन का भारतीय सेना में योगदान
हालांकि कपिल मोहन भारतीय सेना में ब्रिगेडियर थे। देश की सेवा में अतुलनीय योगदान के लिए उन्हें विशिष्ट सेवा मेडल भी दिया जा चुका है। उनका मिलिट्रि बैकग्राउंड अनुशासन और समर्पण की मिसाल है। यह झलक उनकी कंपनी में भी देखने को मिली। कपिल मोहन की मिलिट्री सेवा के लिए उन्हें पदम श्री भी मिल चुका है। यह सम्मान समाज में उनके महत्वपूर्ण योगदान और उनके उल्लेखनीय नेतृत्व कौशल का उदाहरण है।
कपिल मोहन मोहन समूह की अन्य कंपनियों जैसे आर्थोस ब्रुअरीज लिमिटेड, मोहन रॉकी स्प्रिंगवाटर ब्रुअरीज लिमिटेड, सागर शुगर्स एंड अलाइड प्रोडक्ट्स लिमिटेड, आर.आर.बी. एनर्जी लिमिटेड और सोलक्रोम सिस्टम्स इंडिया लिमिटेड के निदेशक भी थे। वह पीएचडी थे और ट्रेड लिंक्स प्राइवेट लिमिटेड के पूर्व प्रबंध निदेशक (1956-1966) भी थे।
कपिल मोहन की अन्य कामों में भागीदारी
कपिल मोहन का योगदान व्यवसाय के दायरे से अलग भी फैला हुआ है। उन्होंने स्वास्थ्य सेवा और कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का उदाहरण देते हुए गाजियाबाद में नरिंदर मोहन अस्पताल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में कार्य किया। इसके अलावा, उन्होंने मोहयाल समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाली शीर्ष संस्था जनरल मोहयाल सभा के संरक्षक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विभिन्न भारतीय कंपनियों में उनकी बहुमुखी भागीदारी ने उनकी बहुमुखी प्रतिभा और विशेषज्ञता को और प्रदर्शित किया।
कपिल मोहन का 2018 में निधन
कपिल मोहन का 2018 में कार्डियक अरेस्ट के कारण दुखद निधन हो गया लेकिन उनकी विरासत और ओल्ड मॉन्क की भावना आज भी कायम है। कंपनी का दैनिक संचालन अब उनके भतीजे, हेमंत और विनय मोहन के सक्षम हाथों में है। उनके मार्गदर्शन से, ओल्ड मॉन्क शिल्प कौशल, प्रामाणिकता और एक वफादार ग्राहक आधार की शक्ति का प्रतीक बना हुआ है।