डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो खराब खान-पान और बिगड़ते लाइफस्टाइल की वजह से पनपती है। जब पैनक्रियाज इंसुलिन का उत्पादन करना बंद कर देता है तो ब्‍लड में ग्‍लूकोज का स्तर बढ़ने लगता है। ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने से बॉडी को पर्याप्त एनर्जी नहीं मिल पाती। इंसुलिन हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी है। डायबिटीज दो तरह की होती है, टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज।

टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों में इंसुलिन का उत्पादन होना बंद हो जाता है तो शुगर का स्तर बढ़ने लगता है। जबकि टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों में इंसुलिन पर्याप्त मात्रा में नहीं बनता इसलिए ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने लगता है। डायबिटीज के मरीजों के ब्लड में शुगर का स्तर बढ़ने से हार्ट, किडनी और लिवर की बीमारियां बढ़ने का खतरा अधिक रहता है।

शुगर के मरीजों के ब्लड में शुगर का स्तर नॉर्मल रहना जरूरी है। नियमित रुप से ब्लड शुगर की जांच करते रहने से शुगर के घटने और बढ़ने का आसानी से पता चल जाता है। आइए जानते हैं कि टाइप-1 और टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों को कितने गैप पर ब्लड शुगर चेक करना चाहिए।

टाइप 1 डायबिटीज: टाइप-1 डायबिटीज के मरीजों को समय-समय पर अपने ब्लड में शुगर की जांच करना जरूरी है। खाने से पहले हमारा ब्लड शुगर लेवल 80 से 130 mg/dLहोना चाहिए। खाने के करीब 2 घंटे बाद हमारा ब्लड शुगर लेवल 180 mg/dL से कम होना चाहिए।

टाइप-1 डायबिटीज के मरीज शुगर की जांच दिन में 4 से अधिक बार कर सकते हैं। सुबह खाली पेट, नाश्ते के बाद, एक्सरसाइज से पहले और बाद में कर सकते हैं। रात को सोने से पहले भी आप शुगर टेस्ट जरूर करें। अगर शुगर का स्तर बढ़ा हुआ है तो दवाई का सेवन करें और बॉडी को एक्टिव रखें।

टाइप 2 डायबिटीज के मरीज कब करें शुगर टेस्ट: टाइप-2 डायबिटीज के मरीज अगर शुगर को कंट्रोल करने के लिए दवाईयों का या फिर इंसुलिन का सहारा लेते हैं तो दिन में दो से अधिक बार शुगर टेस्ट कर सकते हैं। अगर आप शुगर कंट्रोल करने के लिए डाइट और देसी नुस्खों का सेवन करते हैं तो आप दिन में एक बार शुगर टेस्ट कर सकते हैं। जो लोग इंसुलिन थेरेपी ले रहे हैं, उन्हें दिन में कम से कम दो बार शुगर की जांच करनी चाहिए। अगर दवा पर निर्भर हैं तो हफ्ते में तीन से चार बार शुगर की जांच जरूर करें।