यदि आप दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई या बंगलुरु जैसे महानगर में रहते हैं तो आपने कभी न कभी ऐसे वाहनों को देखा ही होगा जो खाद्य पदार्थ बेचते हैं। इन वाहनों को ही ‘फूड ट्रक’ कहा जाता है। अन्य कई देशों में तो व्यापार का यह माडल बहुत पसंद किया जा रहा है जो अब भारतीयों को भी अच्छा लग रहा है। इन खाद्य वाहनों पर विशेष रूप के झटपट बनने वाले खाद्य पदार्थ बेचे जाते हैं। आज हम जानेंगे कि कोई व्यक्ति फूड ट्रक का व्यापार कैसे शुरू कर सकता है।

रेस्टोरेंट की तुलना में ‘फूड ट्रक’ का व्यापार कम पूंजी में शुरू किया जा सकता है। इसके लिए न तो स्थान की जरूरत होती है और न ही बहुत अधिक कर्मचारियों की। इसके साथ ही आप अपने ‘फूड ट्रक’ आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जा सकते हैं। ‘फूड ट्रक’ को शुरू करने से पहले कुछ सरकारी नियमों का पालन करना जरूरी होता है। सबसे पहले तो आपको खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण से खाद्य पदार्थ संबंधी लाइसेंस लेना होगा। इसके बाद आपको स्थानीय परिवहन दफ्तर (आरटीओ) जाकर ‘फूड ट्रक’ लाइसेंस के लिए आवेदन करना होगा।

‘फूड ट्रक’ के लिए लाइसेंस मिलने के बाद आपको एक ऐसे स्थान का चुनाव करना होगा, जहां पर पूरे दिन लोगों की अच्छी चहल-पहल रहती है। ये कोई कालेज, औद्योगिकी क्षेत्र, बस अड्डा, सिनेमा हाल या कोई बाजार हो सकता है। इसके बाद आपको इस क्षेत्र के हिसाब से अपने ट्रक के लिए खाद्य पदार्थों का चुनाव करना है। मान लीजिए, आप अपना ‘फूड ट्रक’ किसी कालेज के पास लगाना चाहते हैं तो आपको युवाओं की पसंद के खाद्य पदार्थ रखने होंगे जैसे चाऊमीन, मोमोज, बर्गर, आइसक्रीम आदि। इसी तरह अगर आप अपने फूड ट्रक को किसी औद्योगिकी क्षेत्र में लगाना चाहते हैं तो आपको कर्मचारियों के हिसाब से दाल, चावल, सब्जी, रोटी, रायता आदि रखना होगा।

सबसे बाद में सबसे जरूरी बात यानी खाने के स्वाद की। इसके लिए आपको अपने यहां अच्छा खाना बनाने वाले रखने होंगे। एक बार लोगों की जुबान पर आपके ‘फूड ट्रक’ के खाने का स्वाद लग गया तो लोग दस किलोमीटर से भी आपका खाना खाने आएंगे। ऐसा होने पर आपको कमाई के बारे में सोचना ही नहीं होगा। आप जितनी अधिक मेहनत करेंगे, ‘फूड ट्रक’ की कमाई बढ़ती ही जाएगी।

प्रस्तुति : सुशील राघव