जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती है, पाचनतंत्र मंद होता जाता है। ऐसे में हल्का-फुल्का खाना ही स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम माना जाता है। हल्का-फुल्का भोजन का मतलब यह होता है कि जो पचने में सुगम हो और शरीर को पोषण और ऊर्जा भरपूर दे। जिन इलाकों में गर्मी अधिक पड़ती है, वहां के लोग ऐसे कई व्यंजन बनाते और खाते हैं। इस बार कुछ ऐसे ही व्यंजन।

उपमा

उपमा दक्षिण भारत का लोकप्रिय व्यंजन है। आमतौर पर इसे नाश्ते के रूप में खाया जाता है। अब तो यह पूरे भारत में खाया जाने लगा है। यह एक प्रकार का नमकीन हलवा ही है। इसे बनाना बहुत मुश्किल नहीं। इसकी खासियत यह है कि यह मीठे हलवे से कहीं अधिक पोषण देता है। इसलिए कि इसमें आप अपनी मनपसंद सब्जियां डाल सकते हैं। इस तरह यह स्वादिष्ट तो बनता ही है, इससे पोषण भी भरपूर मिलता है। सुपाच्य भी होता है। नई मसाला, न अधिक तेल-घी का इस्तेमाल।

यों आजकल बाजार में तैयार उपमा भी पैकेट में मिलने लगा है। उसमें बस गरम पानी डालिए और झटपट तैयार हो जाता है। मगर घर में उपमा बनाने का मजा यह है कि उसमें अपनी पसंद की सब्जियां, मूंगफली, दाल वगैरह का इस्तेमाल कर सकते हैं। फिर ताजा खाने का सुख तो अलग ही होता है।
उपमा रवा यानी सूजी से बनता है। इसके अलावा इसमें आप अपनी पसंद और सुविधा के मुताबिक मटर, गाजर, बीन्स, गोभी, प्याज वगैरह का उपयोग कर सकते हैं। थोड़ी-सी मूंगफली तल और दरदरा कूट कर इस्तेमाल करें तो और स्वाद बढ़ जाता है। तड़के में कुछ दाने छिलके वाली मूंगदाल का इस्तेमाल करें, तो स्वाद में कुरकुरापन आता है।

दो लोगों के लिए एक कटोरी रवा यानी सूजी पर्याप्त होती है। इसी अनुपात में लोगों के हिसाब से सूजी की मात्रा लें। सूजी के साथ अगर चौथाई कटोरी दलिया भी ले लें, तो उपमा में अलग रंगत उभरेगी। कड़ाही में दो चम्मच घी डाल कर सूजी और दलिया को एक साथ चलाते हुए बादामी रंग आने तक सेंकें और फिर इसे निकाल कर अलग रख लें। कड़ाही को पोंछ कर साफ कर लें, इसी में उपमा बना सकते हैं।

फिर आधा कटोरी मटर के दाने, एक गाजर, कुछ बीन्स और एक मध्यम आकार का प्याज बारीक काट लें। अगर पसंद हो, तो फूल गोभी या ब्रोकली के कुछ टुकड़े भी ले सकते हैं। इसके अलावा आधा मुट्ठी कच्ची मूंगफली को खरल में तोड़ लें और एक चम्मच छिलके वाली मूंगदाल या उड़द दाल अलग रखें। कड़ाही में दो चम्मच घी गरम करें।

उसमें एक छोटा चम्मच राई, दो सूखी मिर्चें तड़काएं और फिर मूंगदाल और टूटी मूंगफली डाल कर सेंकें। फिर आठ-दस कढ़ी पत्ते डाल कर चलाएं। अब उसमें सारी कटी सब्जियां डाल कर मध्यम आंच पर पांच मिनट के लिए पकाएं। इसी में जरूरत भर का नमक डालें। पांच मिनट बाद सेंकी हुई सूजी डालें और सब्जियों में मिलाते हुए तीन-चार मिनट तक भूनें। इस तरह सब्जियों का रस सूजी में मिल जाएगा। फिर पानी डालें। पानी की मात्रा सूजी से ढाई गुना रखें। इस तरह रवा अच्छी तरह फूल कर नरम जाएगा। जब रवा पूरी तरह पानी सोख ले तो आंच बंद कर दें और कड़ाही पर ढक्कन लगा कर छोड़ दें।

पांच मिनट बाद ढक्कन खोलें और एक बार फिर से उपमा को उलट-पलट कर मिला दें, ताकि सब्जियां अच्छी तरह पूरे उपमा में मिल जाएं। उपमा तैयार है। इसे नारियल की चटनी या फिर छाछ के साथ खाएं। यह नाश्ता और भोजन दोनों का बेहतर विकल्प है।

दलिया छाछ

लिया तो प्राय: घरों में बनता ही है। आमतौर पर लोग दूध के साथ पका कर मीठा दलिया खाते हैं। कुछ लोग इसे खिचड़ी की तरह भी दाल डाल कर बनाते हैं। दलिया में चूंकि चोकर की मात्रा रहती है, इसलिए यह पेट के लिए बहुत मुफीद मानी जाती है। मगर दलिया का एक बेहतर विकल्प छाछ के साथ भी है। राजस्थान में छाछ के साथ दलिया खाने का चलन खूब है। इसे बनाना बहुत आसान है।

दलिया को अच्छी तरह धोकर पानी में भिगो कर आधा घंटे के लिए रख दें। फिर जैसे खिचड़ी बनाते हैं, वैसे ही कुकर में भरपूर पानी के साथ नमक डाल कर दो सीटी आने तक पका लें। दलिया तैयार है। इसे ठंडा होने के लिए रख दें। यह दलिया ठंडा ही खाया जाता है, इसलिए अगर चाहें तो रात को ही पका कर फ्रिज में रख दें और सुबह जब खाना हो, तब छाछ के साथ इसे तैयार करें।

दलिया पकाने के बाद इसे छाछ में तैयार करना होता है। इसके लिए बाजार का पैकेट वाला छाछ भी इस्तेमाल कर सकते हैं और चाहें तो घर में दही को मथ कर भी तैयार कर सकते हैं। छाछ की मात्रा इतनी रखें कि जिसमें दलिया को अच्छी तरह फेंट कर पतला घोल बनाया जा सके। दरअसल, इसे पीते हुए खाना होता है। छाछ में उबले हुए दलिया को अच्छी तरह मिला लें। चाहें तो इसके लिए हैंड ब्लेंडर या मथानी की भी मदद ले सकते हैं।

अब इसमें पुदीने की कुछ पत्तियां, अदरक का छोटा टुकड़ा और कुछ हरी मिर्चें बारी काट कर डालें। अच्छी तरह मिलाएं। इसे और चटपटा बनाने के लिए एक छोटा चम्मच चाट मसाला और इतनी ही मात्रा में भुना जीरा पाउडर भी डालें। अच्छी तरह मिलाने के बाद इसका तड़का तैयार करें। तड़का पैन या कलछी में एक से दो खाने के चम्मच बराबर सरसों का तेल गरम करें और उसमें जीरा और अजवाइन तड़काएं और फिर दलिया छाछ के ऊपर डाल दें।

अगर लाल मिर्च पसंद करते हों, तो तड़का तैयार होने के बाद और दलिया में डालने से पहले आधा छोटा चम्मच कुटी लाल मिर्च भी तड़के में डालें और फिर दलिया में डाल कर फेंटते हुए अच्छी तरह मिलाएं और परोसें। सुबह के नाश्ते में अगर पूरी गर्मी दलिया छाछ का सेवन करें, तो पेट संबंधी विकार दूर करने में काफी मदद मिलेगी।