यूरिक एसिड ऐसे टॉक्सिन है जिसे किडनी फिल्टर करके यूरिन की जरिए बॉडी से बाहर निकाल देती है। अगर किडनी इन टॉक्सिन को बॉडी से बाहर निकालने में नाकामयाब रहती है तो बॉडी में इसका स्तर बढ़ने लगता है। यूरिक एसिड बढ़ने से बॉडी में कई तरह की बीमारियां हो सकती है। यूरिक एसिड को कंट्रोल नहीं किया जाए तो वो जोड़ों में क्रिस्टल के रूप में जमा होने लगता है।
यूरिक एसिड की महिलाओं में नॉर्मल रेंज 2.4 से लेकर 6 तक होती है जबकि पुरुषों में ये रेंज 3.4 से 7 तक नॉर्मल रेंज होती है। इसके बढ़ने से पैरों की उंगलियों में दर्द, जलन और सूजन आती है। यूरिक एसिड जब जोड़ों में क्रिस्टल के रूप में जमा होने लगता है तो गाउट का कारण बनता है जिसे आयुर्वेद में वात रक्त रोग कहा जाता है। यूरिक एसिड बढ़ना जितना परेशान करता है उतना ही कम होना भी परेशानी का सबब बन सकता है। आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉक्टर प्रताप चौहान से जानते हैं कि यूरिक एसिड का बढ़ना और घटना दोनों ही सेहत के लिए कैसे खतरनाक हो सकता है।
यूरिक एसिड घटना कैसे हो सकता है खतरनाक:
यूरिक एसिड का बढ़ना और घटना दोनों ही सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है। कुछ रोगियों में यूरिक एसिड का कम स्तर भी देखा जाता है। कई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि जिन लोगों का यूरिक एसिड का स्तर कम रहता है उनको डायबिटीज, हाई बीपी और कई तरह के कैंसर होने का खतरा अधिक रहता है। हालांकि ज्यादातर मामलों में यूरिक एसिड कम होना हाई यूरिक एसिड जितना गंभीर नहीं होता।
यूरिक एसिड कम होने के लक्षण:
यूरिक एसिड सिर्फ अपशिष्ट पदार्थ ही नहीं है बल्कि संतुलित मात्रा में शरीर में एंटीऑक्सिडेंट के रूप में भी काम करते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक ये एंटीऑक्सिडेंट शरीर में मौजूद हानिकारक पदार्थों से बॉडी की हिफ़ाज़त करते हैं। आपको बता दें कि यूरिक एसिड कम होने के लक्षण बॉडी में कम ही दिखते हैं।
यूरिक एसिड हाई होने के लक्षण:
यूरिक एसिड हाई होने पर बॉडी में उनके लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं। डाइट में प्यूरिन का अधिक सेवन करने से यूरिक एसिड बढ़ने लगता है। यूरिक एसिड बढ़ने पर बॉडी में उसके लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं। यूरिक एसिड बढ़ने पर जोड़ों में गंभीर दर्द, उंगलियों में चुभन वाला दर्द और सूजन होना, जोड़ों में गाठ की शिकायत होना,उठने बैठने में परेशानी होना, किडनी स्टोन की समस्या होना, बार-बार पेशाब आना और पीठ में दर्द होना जैसे लक्षण दिखने लगते हैं।