सत्य और अहिंसा के पर्याय माने जाने वाले महात्मा गांधी यानी मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। अपने सभी भाई-बहनों में सबसे छोटे गांधी जी को बचपन से ही जैन धर्म ने बेहद प्रभावित किया था, जिसका उद्देश्य विश्व शांति और अहिंसा है। वे जीवन पर्यंत इसी रास्ते पर चले। महान वैज्ञानिक एल्बर्ट आंइस्टीन ने एक बार कहा था कि “हमारे समय के सभी नेताओं में गांधी जी की सोच सबसे अलग और प्रभावी है। इसलिए किसी भी कारण से लोगों को लड़ाई का सहारा नहीं लेना चाहिए।” आइए जानते हैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें…

13 साल की उम्र में हो गया था विवाह : गांधी जी के पिता करमचंद गांधी पेशे से राजकोट में दीवान थे और माता पुतलीबाई बेहद धार्मिक व्यक्तित्व की महिला थीं। पढ़ाई में औसत गांधी जी को बीमार पिता की सेवा करना, मां के घरेलू कार्यों में हाथ बंटाना और सैर करना पसंद था। 13 वर्ष की आयु में उनका विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा से हो गया। सन् 1888 में बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए वो लंदन चले गए।

नस्लीय भेदभाव के खिलाफ लड़े: लंदन में उन्होंने ‘इनर टेंपल’ नामक संस्थान में दाखिला लिया। वहीं से ही महात्मा गांधी की सोच को एक दिशा मिली। सन् 1906 में जब दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के पंजीकरण को लेकर अपमानित करने वाला अध्यादेश जारी किया गया, तब गांधी जी के नेतृत्व में वहां एक जनसभा आयोजित की गई। इसी से सत्याग्रह का जन्म हुआ। दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय जातिवाद के खिलाफ लगभग 7 वर्ष संघर्ष करने के बाद वो भारत लौट आए।

कैसे मिली राष्ट्रपिता की उपाधि?: ऐसा कहा जाता है कि सर्वप्रथम सुभाष चंद्र बोस ने 4 जून 1944 को महात्मा गांधी को सिंगापुर रेडियो से एक संदेश के द्वारा ‘राष्ट्रपिता’ कहकर संबोधित किया था। इसके बाद पूरा देश में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर पुकारने लगा।

आंदोलनों के जरिये अंग्रेजों को झुकाया: सन् 1914 में भारत लौटने के उपरांत गांधी जी ने देश के हालातों पर गहन चिंतन किया। अंग्रेजों द्वारा एक कानून बनाया गया था, जिसके तहत बिना कोई मुकदमा चलाए भी – उनके पास ये अधिकार था कि वो किसी को भी जेल भेज सकते हैं। 1919 में गांधी जी ने इस कानून का विरोध करना शुरू किया, उसके बाद सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत हुई। ‘असहयोग आंदोलन’, ‘नागरिक अवज्ञा आंदोलन’, ‘दांडी यात्रा’ तथा ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ जैसे आजादी के लिए किये गए आंदोलनों में गांधी जी बेहद सक्रिय रहे।