Gandhi Jayanti 2019: पूरा देश महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा है। कांग्रेस पूरे देश में रामधुन के साथ पदयात्रा निकाल रही है तो बीजेपी ने भी गांधी संकल्प यात्रा निकालने की तैयारी कर ली है। इस बीच हम आपको रूबरू कराएंगे बापू की जिंदगी से जुड़े ऐसे किस्सों से, जो आज भी लोगों को हैरान कर देते हैं।

जब नाम सुनते ही डाकू छोड़कर चले गए: जिस दौर में देश आजादी की लड़ाई लड़ रहा था। उस वक्त कई इलाकों में डाकू भी सक्रिय थे। मध्य प्रदेश के सिंगरौली पहाड़ी इलाके में डाकुओं ने एक सुनार को पकड़ लिया। सुनार पहले तो घबराया, लेकिन इसके बाद उसने वंदेमातरम का नारा लगाया। साथ ही, खादी का कपड़ा दिखाया। सुनार ने डाकुओं से कहा कि वह गांधीजी का अनुयायी है, जिसके बाद डाकु उसे छोड़कर चले गए। सुनार ने यह बात गांधीजी के एक साथी को बताई थी, जिसके बाद यह किस्सा आम हो गया।

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जब आश्रम में बनवाया चिकन सूप: बिहार के डॉ. सैय्यद महमूद स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में से एक थे। एक बार वह सेवाग्राम स्थित बापू के आश्रम गए थे। बताया जाता है कि उस वक्त डॉ. महमूद बीमार थे और डॉक्टरों ने ‘चिकन सूप’ लेने की सलाह दी, लेकिन आश्रम में मांसाहार की अनुमति नहीं थी। गांधीजी को यह जानकारी मिली तो उन्होंने डॉ. महमूद को आश्रम में ही रुकने के लिए कहा। साथ ही, उनके लिए चिकन सूप तैयार भी कराया।

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जब वाल्मीकि बस्ती के बच्चों को बापू ने खुद पढ़ाया: 1946 में बापू दिल्ली के मंदिर मार्ग स्थित वाल्मीकि कॉलोनी में आए और 214 दिन तक यहीं रुके। उस दौरान उन्हें पता चला कि वाल्मीकि होने के कारण बस्ती में रहने वाले बच्चों को कोई नहीं पढ़ाता था। बापू ने खुद ही बच्चों को पढ़ाने का फैसला किया और धीरे-धीरे उनके पास गोल मार्केट, पहाड़गंज और इरविन रोड आदि इलाकों से बच्चे पढ़ने के लिए आने लगे।

महात्मा कहने को तैयार नहीं थे जिन्ना, बापू बोले- कोई बात नहीं: दिसंबर 1920 तक गांधीजी को महात्मा गांधी कहा जाने लगा था। उस दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक हुई, जिसमें मोहम्मद अली जिन्ना ने बापू को महात्मा कहने से इनकार कर दिया। ऐसे में गांधीजी ने कहा, ‘‘मैं महात्मा नहीं हूं। मैं साधारण आदमी हूं। जिन्ना साहब को कोई खास शब्द बोलने के लिए कहकर आप मेरा सम्मान नहीं कर रहे हैं। हम दूसरों पर अपने विचार थोपकर असली आजादी हासिल नहीं कर सकते।’’ इसके बाद सभी लोग शांत हो गए।