Gandhi Jayanti 2019: दुनियाभर में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई जा रही है। 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी का निधन 30 जनवरी 1948 को देश की राजधानी दिल्ली में हुआ था। उनके निधन के करीब सात दशकों बाद भी देश और दुनिया के लिए उनका मार्गदर्शन पूरी तरह से प्रासंगिक लगता है। धर्म, आस्था, परंपरा जैसे मसलों पर बापू ने जो विचार रखे थे उनसे वे बेहद दूरदर्शी साबित हुए। बीते कुछ सालों से भारत में गायों का मुद्दा बेहद अहम हो गया है। ऐसे में दशकों पहले कही गई गांधी की बातों पर एक बार फिर ध्यान देने की जरूरत महसूस होती है।

गो-रक्षा शब्द से ही दूरी बनाते थे गांधीः गांधी खुद को सनातनी हिंदू मानते थे। गाय को लेकर उनका नजरिया सिर्फ धार्मिक होने के बजाय अर्थव्यवस्था और अध्यात्म के अनुसार भी काफी सटीक था। गो-तस्करी के शक में भीड़ द्वारा किसी को पीट देने और कानून हाथों में लेकर मौत के घाट उतारने जैसी घटनाएं इन दिनों कई बार सामने आती हैं। गांधी कहते थे कि भारत जैसे विविधता से भरे देश में गायों की रक्षा जबर्दस्ती नहीं की जा सकती। असल में वे गो-रक्षा शब्द से ही दूरी बनाते थे।

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‘गायों को रक्षा नहीं सेवा की जरूरत’: उस वक्त की कुछ घटनाओं से परेशान हुए गांधी ने इतना तक कह दिया था कि असल में खुद को गो-रक्षक कहने वाले ही गो-भक्षक हैं। बापू कहते थे कि देश को गायों की रक्षा नहीं बल्कि उनकी सेवा करने की जरूरत है। 1921 में गांधी ने अपने ही साप्ताहिक अखबार ‘यंग इंडिया’ में ‘गो-रक्षा और हिंदू धर्म’ पर निबंध लिखा था। इसमें उन्होंने कहा था, ‘हिंदू धर्म के नाम पर कई ऐसे काम किए जाते हैं जो मुझे मंजूर नहीं है। मैं सच में वैसा नहीं हूं तो मुझे खुद किसी तरह का हिंदू कहलाने की इच्छा नहीं है।’

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मॉब लिंचिंग पर सीधा प्रहारः बीते कुछ समय से देश में बेहद प्रचलित हुए इस शब्द पर गांधी ने दशकों पहले अपने विचार रखे थे। एक बार गांधी ने कहा था, ‘गायों की रक्षा का अर्थ उसके लिए अपने प्राणों की आहुति देना होता है, गो-रक्षा के लिए मनुष्य की हत्या करना हिंदू धर्म के अनुसार सही नहीं है। हिंदू धर्म में तपस्या, आत्मशुद्धि और आत्मा का आहुति से ही गो-रक्षा नियम है। हम गो-रक्षा के नाम पर हिंदू-मुसलमान में झगड़ा करते रहते हैं। जिस धर्म ने गायों की पूजा करने के लिए कहा हो वह हिंसा का समर्थन कैसे कर सकता है?’ गांधी ने मुसलमानों पर लगने वाले आरोपों पर कहा था कि बूचड़खानों में जितनी गायें कटती हैं उतनी मुसलमान 25 सालों में भी नहीं मार सकते।

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‘मुझे तार न भेजें, गायों की सेवा पर खर्च करें’: गांधी ने एक प्रवचन में कहा था, ‘लोग मुझे तार भेजकर कहते हैं कि मैं गो-वध पर रोक लगवाऊं, जवाहरलाल या सरदार से कानून बनाने को कहूं। असल में जो खुद को गायों का रक्षक बताते हैं, वो ही गायों के दुश्मन बने हुए हैं। मैं ऐसे तार भेजने वालों से कहूंगा कि वे तार भेजने पर खर्च करने के बजाय गायों की सेवा पर खर्च करें।’