हैप्पी होली…वैसे तो हर त्योहार का अपना एक रंग होता है जिसे मस्ती कहते हैं। होली के दिन हरा, गुलाबी, लाल और पीला रंग आकाश में उड़ा दिखाई देता है। होली के इस त्योहार पर रंगों के जरिए सारी भिन्नताएं मिट जाती हैं और सब बस मस्ती के रंग रंगे में नजर आते हैं। होली का धार्मिक महत्व भी होता है। होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। होलिका दहन के अगले दिन रंगों से होली खेली जाती है इसलिए इसे रंगवाली होली और धुल्दुल्हेंदी कहा जाता है। रंगों के इस त्योहार पर एक दूसरे को रंग लगाकर एक-दूसरे को इस त्योहार की शुभकामनाएं दी जाती हैं। भारत में त्योहार जोश खुशी के साथ मनाया जाता है। मगर भारत में कई शहर और जगहों पर होली को लोग अपने-अपने ढंग से भी खेलते हैं।
सबसे पहले बात करेंगे दिल्ली की जिसे दिलवालों की बस्ती कहा जाता है। दिल्ली में होली बेहद ही उत्साह के साथ मनाई जाती है। मेट्रो सिटी होने के नाते, यहां परंपराओं और संस्कृति का एक अलग ही मेल देखने को मिलता है। दिल्ली में कई राज्यों के लोग रहते हैं इसलिए होली का यहां हर देखने को मिलता है। दिल्ली में होली के दौरान पार्टी आयोजित की जाती है जिसमें लोग डांस और मस्ती के साथ एक दूसरे को रंग लगाकर त्योहार की शुभकामनाएं देते हैं। इसके अलावा मथुरा की लट्ठमार होली तो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।
इस दिन नंदगांव के पुरुष होली खेलने के लिए राधा रानी के गांव बरसाने जाते हैं इन पुरूषों को होरियारे कहा जाता है। यह पुरुष नाचते झूमते गांव में पहुंचते हैं और औरतें हाथ में लाठियां पकड़े हुए रहती है जैसे ही पुरुष वहां आते हैं औरते उन्हें पीटना शुरू कर देती हैं। पुरुष खुद को पिटने से बचाते हैं। इस लट्ठमार होली की खास बात यह है कि यह सब मारना पीटना हंसी खुशी के वातावरण में किया जाता है।
वहीं मुंबई और पुणे की बात करें तो पिछले दो सालों से वहां पर सूखी होली खेली जा रही है। मुंबई में लोग होली खेलने की सिर्फ रंगों का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। सिर्फ रंगों से होली खेलने के पीछे लोगों को मकसद है होली के दौरान होने वाली पानी की बरबादी को रोकना। वहां होली के त्योहार से पहले काफी अभियान भी चलाए जाते हैं जिनके जरिए लोगों से सेफ वॉटर की अपील की जाती है।
