बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर धर्मेंद्र की पत्नी हेमा मालिनी और बेटे सनी देओल सांसद हैं। खुद धर्मेंद्र भी चुनावी मैदान में अपना हाथ आजमा चुके हैं। धर्मेंद्र ने राजस्थान के बीकानेर से बीजेपी के टिकट पर साल 2004 में लोकसभा चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में धर्मेंद्र को एक-तरफा जीत हासिल हुई थी। हालांकि इसके बाद उन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा।
वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई अपनी किताब ‘नेता-अभिनेता: बॉलीवुड स्टार पावर इन इंडियन पॉलिटिक्स’ में एक किस्से का जिक्र करते हैं। किदवई लिखते हैं, ‘2004 के चुनाव में हेमा मालिनी ने अपने पति के लिए जोरदार प्रचार किया था। हेमा की स्टार प्रचारक वाली छवि की वजह से धर्मेंद्र को आराम से टिकट मिल गया और उन्होंने जीत भी दर्ज की। हालांकि ऐसा कहा गया कि उन्होंने सिर्फ लोकसभा पहुंचने के लिए चुनाव नहीं लड़ा था। उनकी निगाह मंत्रीपद पर थी। जबकि इन चुनावों में एनडीए सत्ता में नहीं आ पाई। सोनिया गांधी के नेतृत्व में यूपीए के हाथ सत्ता की चाबी लगी।’
किदवई ने आगे लिखा, ‘धर्मेंद्र बहुत कम संसद जाते थे। शायद उन्हें बतौर सांसद अच्छ महसूस नहीं हो रहा था। कांग्रेस नेता नवल किशोर शर्मा ने आरोप लगाया कि धर्मेंद्र ने अपने हलफनामे में पत्नी हेमा मालिनी की प्रोपर्टी घोषित नहीं की है। इन आरोपों के बाद 17 अप्रैल 2004 को आजतक से बात करते हुए धर्मेंद्र ने कहा, ‘मुझे बीजेपी की फिलॉसिफी के बारे में बिल्कुल नहीं पता था। मुझे सिर्फ इतना पता है कि अगर मैं पांच साल तक तानाशाह होता तो ये सब ‘गंदगी’ साफ कर देता।’
शोले का वीरू बनकर किया प्रचार: तब बीजेपी ने धर्मेंद्र के कमेंट का बचाव करते हुए कहा, ‘उन्होंने अपने बयान में गलत क्या कहा? बाला साहेब ठाकरे भी तो कई सालों से ऐसे बयान दे रहे हैं।’ राशिद किदवई आगे लिखते हैं, ‘धर्मेंद्र ने अपने चुनाव प्रचार को बिल्कुल फिल्मी स्टाइल में किया। उन्होंने लोगों से वायदा किया कि अगर वह सांसद बनते हैं तो सभी भ्रष्ट लोगों का सफाया कर देंगे। धर्मेंद्र ने सुपरहिट फिल्म शोले के डायलॉग का इस्तेमाल करते हुए कहा था, ‘मैं संसद की छत पर खड़ा हो जाउंगा। अगर भारत सरकार मेरी बात नहीं मानेगी तो ऊपर से कूंद जाउंगा। जैसे शोले में मौसी को मनाने के लिए किया था।’
संसदीय क्षेत्र नजर न आने के लगे आरोप: धर्मेंद्र पर इस दौरान आरोप लगाए गए कि वह अपने संसदीय क्षेत्र नहीं आते हैं और न ही संसद में अपने क्षेत्र के मुद्दे उठाते हैं। राशिद किदवई बताते हैं, ‘धर्मेंद्र से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा था, ‘ऐसा कौन कहता है, मैं हमेशा अपने लोगों के टच में था। मैंने सुर सागर की सफाई करवाई। स्कूल की फीस भी कम करवाई। मैं अपने क्षेत्र की हर समस्या को सुनता हूं। मेरा ऑफिस मुझे रोज़ाना लोगों की समस्या के बारे में बताता था।’