दिल्ली यूनिवर्सिटी के नॉर्थ कैंपस में एडमिशन के लिए कट ऑफ जारी होने के बाद बहुत से कॉलेज में नए स्टूडेंट्स ने क्लासेज करनी भी शुरू कर दी हैं। इस बार नए स्टूडेंट्स को कुछ नया माहौल भी देखने को मिल रहा है। हालांकि यह विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से कतई नहीं किया गया है। लेकिन नए स्टूडेंट्स को अड्डेबाजी के लिए जगह तैयार हो गई है। कैंपस के बाहर खाली जगह में कई सारे स्टॉल्स लग गए हैं। वैसे तो यहां पहले से फेसम कई अड्डेबाजी की जगहें हैं। लेकिन सड़क किनारे कई और भी बेहतरीन खाने पीने के स्टॉल्स भी तैयार हो चुके हैं। जहां स्टूडेंट्स को खाने के साथ बढ़िया माहौल भी मिलेगा।

मैगी प्वाइंट
कैंपस और इसके परिसर के आस पास कई मैगी प्वाइंट्स हैं लेकिन स्टूडेंट्स सबसे ज्यादा टॉम अंकल के मैगी प्वाइंट पर जुटते हैं। टॉम अंकल का मैगी प्वाइंट दौलत राम कॉलेज और रामजस कॉलेज के बीच में पड़ता है। यहां चार या पांच तरह की मैगी नहीं बल्कि पूरे 60 तरह की मैगी मिलती हैं। टॉम अंकल का असली नाम रमेश कटारिया है। इन्होंने अपना पहला स्टॉल 1978 में लगाया था। हालांकि मैगी बेचने की शुरूआत उन्होंने 1995 में की। उस वक्त सब इन्हें टीटू भइया के नाम से पुकारते थे। लेकिन खालसा कॉलेस के स्टूडेंट्स ने इनका नाम टॉम अंकल रख दिया। अब इस काम में उनका बेटा और भाई भी लगा हुआ है।

भेल पूरी बेचने वाले सुनील सेठी

 

स्पाइस रूट
स्वादिष्ट भेल पूरी का भी यहां सालों पुराना ठिकाना है। यहां के सालों पुराने स्टूडेंट्स को आज भी सफेद कुर्ता पायजामा पहन भेल पूरी बेचने वाले सुनील सेठी याद हैं। इनका यह स्टॉल डब्लूयूएस हेल्थ सेंटर के बाहर लगता है। सुनील सेठी बीते 35 साल से भेल पूरी बेंच रहे हैं।

टॉप ऑफ दि क्लास
श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स के सामने और आर्ट्स फैकल्टी के पड़ोस में तारा चंद छोला और कुल्चा बेचते हैं। वह बीते चार दशक से लोगों को छोला कुल्चा खिला रहे हैं। तारा चंद उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के रहने वाले हैं। वह दिल्ली तो आए तो अपनी रोजी रोटी की तलाश में आए थे। लेकिन यहां आते ही उन्होंने लोगों का रुख भांप लिया और दूसरों की भूख शांत कर अपना पेट पालने लग गए।