IPS Neeraj Kumar Jadaun: 6 दिसंबर 2008 को किसी जमीनी विवाद के कारण पिता की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जिससे 26 वर्षीय नीरज का परिवार पूरी तरह से टूट गया था। 5 भाई-बहनों में सबसे बड़े नीरज उन दिनों किसी विदेशी टेलीकॉम कंपनी में अच्छे पद पर कार्यरत थे। अपने पिता को न्याय दिलाने के दौरान पुलिस के रवैये से आहत नीरज ने अपने 22 लाख की नौकरी को छोड़कर IPS बनने की ठान ली। यही है IPS नीरज जादौन की कहानी। उत्तर प्रदेश के जालौन जनपद के नौरेजपुर गांव के निवासी नीरज एक साधारण किसान के बेटे हैं। साल 2015 बैच के आईपीएस अधिकारी नीरज जादौन की प्रेरणा भरी कहानी आइए जानते हैं-
इन पदों पर कर चुके हैं काम: यूपी के गाजियाबाद जिले के एसपी देहात नीरज कुमार जादौन ने बतौर एंटी रोमियो स्क्वॉड के प्रभारी के रूप में भी अपनी सेवा दी है। इसके साथ ही उन्होंने बुजुर्गों के लिए ऑपरेशन आशीर्वाद भी चलाया है। दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाके में कुछ समय पहले हुई हिंसा में नीरज उभर कर सामने आए। उन्होंने न केवल अपनी जान की परवाह किये बगैर कई परिवारों की जान बचाई, बल्कि इस दौरान उन्होंने प्रोटोकॉल के बारे में भी नहीं सोचा।
IPS बनने के लिए छोड़ी 22 लाख की नौकरी: कानपुर से स्कूलिंग के बाद नीरज ने साल 2005 में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से बीटेक किया। इंजीनियरिंग के बाद एक साल तक उन्होंने नोएडा की एक निजी कंपनी में कार्य किया। बता दें कि नीरज के पिता केवल बारहवीं और मां आठवीं पास थीं। जिस समय उनके पिताजी की मौत हुई थी, उस दौरान वो बेंगलुरु में एक टेलीकॉम कंपनी में 22 लाख कमा रहे थे। साल 2013 तक उन्होंने इसी जगह नौकरी की।
इंटरव्यू से 25 दिन पहले दादाजी चल बसे: नीरज साल 2011 से ही सिविल सर्विसेज की तैयारियों में जुट गए थे। 2011 में इंटरव्यू तक पहुंचे, फिर अगले साल उन्हें इंडियन पोस्ट एंड टेलीकम्युनिकेशन अकाउंट्स एंड फाइनेंस सर्विसेज में पोस्ट मिली। लेकिन उन पर तो सिर्फ IPS बनने का जुनून सवार था। साल 2014 में नीरज ने UPSC की परीक्षा में 140वां स्थान हासिल किया। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि मुश्किल के दिनों में उनके दादाजी ही परिवार का सबसे बड़ा सहारा थे लेकिन सिविल सर्विसेज की इंटरव्यू से 25 दिन पहले वो चल बसे।