संजय मिश्रा बॉलीवुड इंडस्ट्री के उन कुछ अभिनेताओं में से हैं जिन्होंने कई अलग-अलग तरह की भूमिकाएं निभाई हैं। अपनी कॉमिक एक्टिंग और शानदार अभिनय कौशल के जरिए दर्शकों के दिल में जगह बनाते हुए, संजय मिश्रा (Sanjay Mishra) ने इंडस्ट्री में एक लंबा सफर तय किया है। हिंदी फिल्म उद्योग के कई अन्य लोगों की तरह, संजय मिश्रा का जीवन संघर्ष और कई उतार-चढ़ाव से भरा था, और आखिरकार उन्हें वह पहचान मिलनी शुरू हुई जिसके वे हकदार थे। आज उनके पास BMW जैसी गाड़ियां हैं। आइए जानते हैं उनकी लाइफ से जुड़ी कुछ जरूरी बातें-
फिल्मीबीट के मुताबिक, संजय मिश्रा ने 1991 से 1999 के बीच कई चीजें ट्राय की थीं- लाइटिंग से लेकर आर्ट डायरेक्शन और कैमरामैन। कई दिन उन्होंने वड़ा-पाव खाकर बिताया और ढाबे पर काम किया। पिता की मौत के बाद उन्होंने ढाबे पर काम करना शुरू किया था जहां पर ऑमलेट के अलावा और भी कई चीजें बनाते थे।
उन्होंने टेलीविजन शोज में भी ट्राय किया था। उनका पहला सीरियल चाणक्य (1991) था। लेकिन चीजें उनके लिए सही नहीं हो पाई। बॉलीवुड में संजय मिश्रा ने अपने करियर की शुरुआत 1995 में ”ओह डार्लिंग ये है इंडिया” से की थी। इस फिल्म में उन्होंने हारमोनियम बजाने वाले की एक छोटी सी भूमिका निभाई थी। साल 1999 में क्रिकेट विश्व कप के दौरान, वह ईएसपीएन स्टार स्पोर्ट्स पर ऐप्पल सिंह के विज्ञापन से काफी प्रसिद्ध हुए। इसके बाद उन्हें ”ऑफिस-ऑफिस” से भी काफी पॉपुलैरिटी मिली। इसके बाद उन्हें कई फिल्में मिलने लगीं।
रोहित शेट्टी कि फिल्म ऑल द बेस्ट से संजय मिश्रा की जिंदगी में एक नया मोड़ आया। इस फिल्म का डायलॉग “ढोंढू जस्ट चील” बहुत पॉपुलर हुआ था और संजय मिश्रा के रोल को भी लोगों ने बहुत पसंद किया था। एक इंटरव्यू के दौरान, संजय मिश्रा ने बताया कि आज उनके पास पटना और मुंबई में कई घर हैं। उनके पास फॉर्च्यूनर और बीएमडब्लू जैसी लक्जरी गाड़ियां भी हैं। इसके अलावा इतने उतार-चढ़ाव के बावजूद आज वे 20 करोड़ के मालिक हैं। फिल्मों के अलावा संजय मिश्रा को क्रिकेट बेहद पसंद है। साथ उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें खाना बनाना भी अच्छा लगता है।
